Wednesday, 3 May 2017

Bhagini Sisterly Love.


अश्रुनन कृत्वा अहम् सा सह गतः ; सा बाह्यावरणनिष्कास्य केचन मोदफलम् मह्यं अददत् , अहम् सानंदेन भक्षितं, जलाभावे एतत् अति श्लाघ्यमासीत्  , अहम् अचिन्तयम यत्  केन सा ज्ञाता यत्  नगरजलम्  अलम्  मह्यं, सा भगिनी-समम्  कार्य कृता, तत्पश्चात्  अहम् कथितं, "अधुना अहम् गच्छामि"  सहर्षं गरिआहाड़वहि: आगत्य कथिता "बाई, पुनः आगच्छतु"
इदं 'पुनः' कदा  भविष्यति अहम् न जानामि; परन्तु अहम् तस्याः प्रेमसिञ्चितं  अद्य च.  

* बिना कुछ सुनले हम उनका साथ चल गइनी.   ऊ हमरा के दू चार गो छील छील के प्यार से लीची देली जे हम गुबुर गुबुर खात गइनी. खूब नीमन लागल; पियासो चल गइल.  बाकिर आज तक हमरा ई  पता ना चलल,  उनका ई कैसे पता चलल कि  हम शहर के कल के पानी ना पीहीं ?
का ओह बहिन के भीतरी प्रेम रहे.
ई  सब हमार सहपाठी लोग ना समझ सकलन .  
बाद में, बहुत बाद में हमरा पता लागल कि ढेर बात आदमी बिना कहले उहले समझ जाला, जब  कवनो बात मन से कइल जाय *

** Ignoring them, I went with her. She gave me some Lichi pealed off, which I took happily. Then I said, “I must go, else I would be late in the class.”She came down with me, and said, “Please come again and again to your sister.”
After moving a few hundred metres, my mates met, and started laughing at me.Some of theuttered have you taken Pooaa? How did you like? ….Later after I grew up, I came to know that Chaturbhuj Sthan was a Red-light area of Muzaffarpur, and my mates were making fun of me. ** 

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