30.09.2017 > 5.3 ** Autobiography of
Dr
Pt Deo Dutta Sharma
25. यांत्रिकीअभियंत्रणअध्ययनम् YaantrikiAbhiyantra0IaAdhyayanam,
B. Sc मिकैनिकल इंजीनियरिंग के पढ़ाई
Studying B. Sc (Mechanical Engineering). Page
5.77 - 5.93
BCE "बिहार इंजीनियरिंग कालेज"
पटनायाम् स्नातक (अभियांत्रिक) (अभियंत्रणे), प्रवेशाय अहम् मम मित्रं श्री श्यामनंदन ओझा सह मोदफलपुरात्
पाटलीपुत्रं एकदिवसपूर्वं गतः. तत्रैव स्थितः.
आगामी दिवसे आवाम् 8 वादने प्रातः प्रवेशाय महाविद्यालये गतः, तत्रैव भोजनालये अवाम्, स्वल्पाहारम् कृतः यत् मम मित्रं इच्छितः.
* BCE "बिहार इंजीनियरिंग कालेज" पटना में बी एस सी (अभियांत्रिक) (अभियंत्रण) में नाव लिखावे खातिर मुजफ्फरपुर से पटना मई सृ 9058 में हमार दोस्त श्री श्यामनंदन ओझा, जे 'घुमक्कड़ी' में हमरा साथे गइल रहन ऊहे, अइलन. हमनी के फेरु पाटलिपुत्र धर्मशाला गइनी जा एक दिन पहिलही`ये.
दूसर दिन हमनी के BCE,
8 बजे भोरे पहु`च गइनी जा, आ BCE
केंटीन में जलपान में कचौड़ी, तरकारी आ छोला लेनी जा जे श्यामनंदन जी के नीमन लागल. *
** For taking admission into B. Sc (Mech)
(Engg) course in BCE, ‘Bihar College of Engineering’ I left Muzaffarpur for
Patna in May 1958 along with my friend Shri Shyam Nandan Ojha who had
accompanied me in ‘GhumakkaRee’. We again went to ‘Patliputra Dharmashala’ a
day before.
Next day at 8 am we reached BCE Canteen and
took our breakfast with KachauRee and Curry and Cola as desired by Shyama
Nandan. **
भोजनालये श्रुतं यत् अधिकविद्यार्थी-'सामाजिक अभियंत्रणं' ऐच्छन्, यद्यपि तत्र यांत्रिक, विद्युत् तथा 'सैन्य' अभियंत्रणम् च आसन्.
* कैंटीन में पता चलल की अधिकाँश स्टूडेंट सिविल इंजीनियरिंग लेबे के चाहत रहन. कालेज में सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल आ मिलिट्री इंजीनियरिंग के पढ़ाई होत रहे *
** In the Canteen we found that most students
liked admission into Civil Engineering, out of Civil, Mechanical, Electrical
and Military Engineering then available. **
*** अद्य सृ 08.07.9117 दिवसे अधुना प्रातः 10 वादने गुज़रातप्रान्ते
सावरमती >
"गांधी-चक्रात बुलेट-रेलम" आगमिष्यति.
अहमदाबाद-मुंबई तीव्रगति प्रांगणम् भविष्यति पञ्चवर्षे.
Aaj 08.07.9117 ke,
abahee` eh gharee 10 baje din Gujraat me`:
सावरमती: “चरखा से” बुलेट-रेल >
“अहमदाबाद -मुंबई तीव्रगति आँगन”
Saawarmatee:
‘Carkhaa se BulleT Rel’ > Ahmadaabaad-Mumbai Teebra Gati Praangan’.
Today on 14.09.2017 at this moment at
10 am in Gujarat:
From Spinning-wheel
emerged ‘Bullet Train’ >
‘Ahmadabad-Mumbai
High Speed Rail Corridore’
"भारत-जापान मित्रता बुलेट-रेलयानस्य” शिलान्यास प्रम नरेंद्रमोदी तथा जापान प्रम शिनषो आबे कृतवन्तौ.
"भारत -जापान मित्रता बुलेट रेल" के भूमि पूजन आ शिलान्यास प्रम नरेंद्रमोदी आ प्रम शिनषो आबे कइलन.
‘Bhaarat-Japan Mitrataa ke
BulleT Rel’ ke Bhoomi Poojan aa Shilaanyaas PM Narendra Modi aa PM Shinzo Aabe
kailan “UccaGati Tre~n” ke.
Worshipping Land and laying Foundation stone
of ‘Bullet Train of the
Friendship of India-Japan’ was performed by PM Narendra Modi and PM Shinzo Abe
of Japan of “High Speed Train”, ***
क्षम्यतां उपरि लिखित संदर्भाय!
मया किं करणीयं, यदा अहम् इदं लिखितमासन्, तदैव महात्मा गांधी महोदयस्य सावरमती
"गांधी-चक्रात तीव्रगति रेल-यानम्" आगतः तथा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी एवं जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे माता नर्मदा तथा भूमिपूजनम् आरभताम्, अतएव अहम् तदैव लिखने लिप्तमभवम्.
* माफी ऊपर के सन्दर्भ खातिर!
बाकिर हम का करीं, जब हम ई लाइन लिखत रहीं, तबहींए गांधी जी के सावरमती के "चरखा से निकलल बुलेट-रेल" जेकरा खातिर नर्मदा माई आ भूमिपूजन आ शिलान्यास करे लगले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी आ जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे. ओकरा के लिखे के हम रोक ना सकनी.
Maafi uupar ke
sandarve khaatir;
Baakir ham kaa
karee`, jab ham ee laain likhat rahee`, tabahee`e Gaandhi ji ke Saawarmatee,
Ahmadaabaad ke “Carakhaa se BulleT Rel’ ke Shilaanyaas hokhe laagal, ta okaraa
ke likhe ke ham ro~k naa sakanee. *
**
Excuse me, while writing these lines, then itself Worshipping Land and laying
Foundation stone of ‘Bullet
Train of the Friendship of India-Japan’ started, which I could not stop
writing.**
भोजनालयात् वहिः आगम्य आवाम् मुख्यगृहे गतः. श्यामनन्दन: तु वहिरेव अतिष्ठत्. मम पत्राण परीक्षणम् तत्र अभवत्, तथा मध्यम् एक संकेतं प्राप्तम्.
* कैंटीन से निकल के हमनी के BCE के केंद्रीय हॉल में गइनी जा; श्यामनंदन जी त बहरे रोकडियाइल।भीतरी हमार सब कागजन के जांच भइल आ हमरा के एगो टोकन देल गइल *
** Kainteen se nikal ke hamani ke BCE ke
Kendreey Haul me` gainee jaa. Shyaam Nandan ji ke ta baahare ro~k diyaail.
Bheetaree hamaar sab kaagaj ke jaa`c bhai, aa hamaraa ke ego
Token del gail. **
यदा मम क्रमम् आगतः, तदा अहम् 'साक्षात्कार सदने' गतः. ते मां यथा स्थाने उपविशतु` कथितवान् तथा बधाई पश्चातपृच्छन्,
"त्वं किं शाखा इच्छसि?"
अहम् कथितः, "अहम् "अभियांत्रिक अभियंत्रणम्" इच्छामि."
प्रधानाचार्याः कथितवान्,
"तव स्थानं अत्युत्तमं, कथं "अभियांत्रिक अभियंत्रणम्" इच्छसि?"
अहम् कथितः, "कि उच्चस्थानछात्रः
'अभियांत्रिक अभियंत्रणम्' न पठति?"
सर्वे हसनं आरभत.
* जब हमार नंबर आइल त हम 'साक्षात्कार बोर्ड' में गइनी ; हमरा के कुर्सी प बइठे के कहल गइल ; ऊ लोग हमरा के बधाई देलन आ कहलन कि हम कवन 'डिसिप्लिन' लेबे के चाहतानी?
हम कहनी कि हम
"मैकेनिकल इंजीनियरिंग" लेबे के चाहतानी;
ई सुनते प्रिंसिपल साहब कहलन,
"तुम ने इतना किया है, तो मैकेनिकल इंजीनियरिंग क्यों लेना चाहते हो?"
त हम कहनी,
"का कवनो अच्छा आदमी "मैकेनिकल इंजीनियरिंग" ना ले सके?"
सब लोग हसे लागल *
** Jab
hamaar nambar aail, ta ham ‘Saxaatkaar Bo~rD’ me` gaini. Hamaraa ke kurshee pa
baiThe ke kahal gail. U lo~g hamaraa ke badhaai delan aa kahlan ki ham kawan
‘discipline’ lebe ke caahataani?
Ham
kahani ki ham ‘Mechanical Engineering’ caahataani.
Ee sunate Principal Saahab kahalan, “You have
done so nice, why do you like to take Mechanical Engineering”.
I replied, “Shouldn’t a good boy take
Mechanical Engineering’.
All
started laughing. **
तदा प्रवेशाधिकारी प्राचार्यः कथितवान्, "गच्छ, चिन्तय, द्वे होरापश्चा आगच्छ. तदा यत्किंचित त्वं इच्छिष्यति, तदैव तव शाखा भविष्यति."
* तब दाखिला देबे वाला प्रोफेस्सर कहलन,
"जा आ सोंच. 2 घंटा बाद आ के जे कहब, ऊहे ब्रांच मिल जाई *
** Then
the Professor in-charge said, “Go and think. Come after 2 hours, then
whatever you will say, we will do."
Then the Admission in-Charge said, “Go and
think. Come after 2 hours, then whatever you will say, we will do.” **
द्वे होरापश्चात् अहम् पुनः साक्षात्कार सदने गतः, तथा मम पूर्वनिश्चितशाखाम् कथितः. ते तदैव लिखितम्, तथा श्व: 8 वादने स्वास्थ्यपरीषणाय आगन्तुम् कथितवाम्. वहिः श्यामनन्दनः सर्वे श्रुत्वा आह्लादितमभवत्, आवाम् महाविद्यालयभोजनालये गत्वा भोजनम् कृत्वा धर्मशालायाम गत्वा सुप्तः.
* दू घंटा बाद हम साक्षात्कार समिति में गइनी, आ आपन सोंचल-समझल ब्रांच कह देनी.
ऊ लोंग लिख लेलन आ हमरा के अगिला दिन 8 बजे मेडिकल जांच खातिर आवे के कहलन. धन्यवाद दे के हम बहरी अइनी जहां श्यामनंदन जी खड़ा रहन. ऊ खूब खुश भइलन. हमनी के कालेज कैंटीन में भोजन क के धर्मशाला में आराम कइनी जा. *
** After
2 hours, I went to the Interview Board and said my considered view.
They recorded accordingly and said to come
the next day at 8 am for my Medical check up.
Thanking them I came out where Shyam Nandan ji
was waiting. He became very happy. We took our lunch in the college canteen and
left for the Dharamshala and relaxed. We together took our dinner in Sabjibag
and slept in our room. **
श्वः महत्वपूर्णदिवसः आसीत्. अहम् स्वास्थ्यपरीषणे उत्तीर्णताप्राप्तुम्
सुनिश्चितमासीत्, मात्र दृष्टि परीक्षने, यत् मम दृष्टि -4.25
प्रति चक्षु आसीत्.
श्वः आवाम् अष्टवादने स्वास्थ्यपरीक्षाणाय BCE गम्य परीक्षाणाय उपस्थितमभवं, यत् सामान्यमासीत्. यदा चक्षुपरीक्षनं प्रारभत, श्यामनन्दनः दृश्यपट्टी निकटे गत्वा पङ्क्तिवद्ध रूपे स्मृतः, तथा मम निकटे आगत्य कथितः, यत् अहम् तथैव स्मृत्वा उक्तः , परीक्षनं सम्पूर्णम्. -
यद्यपि एतत् अनैतिकं, परन्तु एकसफलोभियंताभवितुम्
इदमावश्याकं, यत्
मया प्रतिपादितः.
* अगिला दिन बड़ा महत्त्वपूर्ण रहे; हम त मेडिकल जांच सफलता खातिर निश्चित रहीं खाली आँख के आवश्यकता से जादा मायोपिक -4.25 हर आँख के छोड़ के अगिला दिन 8 बजे हमनी के कालेज में मेडिकल जांच खातिर गइनी जा.
काहे कि हम पट्टी प लिखल सब लाइन पढ़ ना सकत रहीं चस्मो लगा के, त श्यामनंदन जी पट्टी के नजदीक जा के हर लाइन पढ़ के इयाद क के हमरा के बोल देले, जे जांच के बेर हम लाइन लाइन क के पढ़ देनी. बस हो गइल जांच. ई कुछ अनैतिक रहे, बाकिर एगो सफल इंजीनियर बने खातिर ई कुछुओ ना रहे, हम क सकनी एह कमीयो के बाद..
** Next
day was very crucial. I was sure to succeed in the Medical Check up, but for my
eyes sight which was highly myopic – 4.25 each eye.
Next day at 8 am, we went to the college for
Medical Check up. Since I could not read all the lines even with
specs, Shyamnandan went near the board, learnt them and said to me which I
learnt and uttered at the time of the test. This was unethical, but
I had to do to be a successful Engineer, even with such physical defficiency.
**
अत: अहम् स्वास्थ्यपरीक्षने सफलं, एतत् लघ्वनैतिक कार्य सह "अभियांत्रिक अभियन्ता" भवितुम्.
तददिवसे एव नियतशुल्कप्रदाय अहम् "स्नातक अभियांत्रिक अभियन्ता" पठनाय प्रवेशं प्राप्तः BCE महाविद्यालते, मम क्रमांकमभवत्
686, मम 4 वर्षाय चिह्नं, तथा एकस्थानं "सिवमिल छात्रावासे" यत्
प्रथमवर्षीय छात्रेभ्यः नियतमासीत्.
* एह तरह से नियत फी देके हमार नाव बी एस सी (यांत्रिकअभियंता) क्लास में BCE में नाव लिखाइल ४ बरीस खातिर रोल नंबर मिलल 686, आ एगो सीट "सिवमिल हॉस्टल" में मीलल जे में फ़स्ट इयर के छात्र रहत रहन. *
** Thus
I was certified medically fit with this small cheating for becoming a
Mechanical Engineer.
The same day after paying the fees, I got
admitted in the B.Sc. (Mech Engg) in BCE with Roll No. 686, my
identity for 4 years, and a seat in the Civmil Hostel of the college reserved
for the 1st year students of BCE . **
25.1 सिवमिल छात्रावासजीवनं सिवमिल होस्टल के जीनगी Life in Civmil Hostel. Page 5.86 – 5.8
'सिवमिल हॉस्टल', 'सिविल मिलिटरी' इति आंग्लशब्दस्य उपनाम अस्ति, यत्र आंग्ल-शासन काले सैनिकाः निवसन्ति स्म. बिहार BCE, अभियंत्रण महाविद्यालये 'सैनिक अभियंत्रण' च आसीत् यत्र मात्र 10 किंवा 12 छात्राः आसन्.
* 'सिवमिल हॉस्टल', 'सिविल मिलिटरी' के उपनाम रहे, जहा` अंगरेजी शासन में आर्मी के लोग रहत रहन एह बैरेक में.
BCE में 'मिलिटरी इंजिनीरिंग' के पढ़ाई होत रहे जे में शायदे दर्जन भर छात्र रहन *
** Civmil Hostel, is the acronym of ‘Civil Military Hostel’ which was a Military
barrak where during English rule of India, military men used to live. In BCE
‘Military Engineering” was also a discipline, however there hardly a dozen
students opted for this. **
सिवमिल छात्रावासस्य जीवनम्:-
जीवनं तत्र विलक्षणमासीत्. एकश्मिन् वृहतलोहाच्छादित् गृहे 24 छात्रा: निवसन्ति स्म, मध्ये मात्र अर्धभागे इस्तIवरोधमासीत. प्रत्येक छात्राय एकचतुस्तिका, एका उच्चपीठिका, तथा एका काष्ठाधारिका आसन्.
.
छात्रावास्य द्वार निकटे सर्वेषाम भोजनालयमासीत्, यत्र आरक्षी-गृहसमम्
भोजनमासीत्.
* सिवमिल हॉस्टल के जिनगी: क़माल के रहे!!!
एगो हॉल में २४ छात्र. हॉल के बीच में 4 हाथ ऊँच घेरा, जेकरा एकओर 12 स्टूडेंट आ दूसर और, औरु १२. हर छात्र के एगो चौकी, अलावे एगो टेबुल आ दीवाल से सटल एगो छोट काठ के आलमारी.
हॉस्टल के गेट के नियरे मेस रहे; भोजन सामग्री पुलिस बैरेक जइसने रहे”.
हॉस्टल के गेट के नियरे सब के मेस रहे, जहां के खाना उहे पुलिस के बैरेक के खाना जइसन.
** Life in Civmil Hostel: was
something very special. In i hall 24 students used to live just with 7 ft high
partition in half-hall; 12 students on each half of the Hall.
Each student was provided with a table and a small
cup-board kept at the side wall of the hall.
There was a common mess near the gate of the hostel.
Quality of the food was something like a police barrack. **
सर्वेषाम् सौचालयः एकस्थाने आसीत्, यत्र मात्र एकम् अनाच्छादित- नलिका आसीत् यश्मिम् यदा कदा तीव्रगतिजलं वहति स्म, येन मलमूत्रम्
सौचालयIद्वहि: गच्छति स्म, तनु प्रक्षालनपाश्चात् गंगा नद्यांम्.
* पैखाना सब खातिर शामिल रहे, जे में खाली एगो लमहर नाला रहे जे में रह रह के तेज पानी झोंका से आवत रहे जे मल मूत के बहा ले जात रहे, सायद अंत में सफाई
बाद गंगा नदी में`, बाकिर ई कतना गंदा काम रहे!!!
का अंत में कुछ सफाई आदि के बाद ई गंगा जी में ना जात रह? कतना गंदा रहे ई सब *.
** Toilet was common, with just a long open drain having
intermittent water flow from a overhead tank with a water pump for filling it,
to sweep out the fecal into the near-by river Ganga after some cleaning. What a
dirty and unhygienic arrangement it was!!!
What to talk about polluting the pious river
Ganga!!!
Persons sitting one behind the other over the open
drain!! What a scenario!!! I had never dreamt.**
उपर्युक्त वार्ताम् त्यक्त्वा छात्रावासस्य जीवनम् मधुरं.
प्रातरेव 3 - 3.30 वादने एकछात्रः उत्त्थाय विभिन्नप्रकारIणाम्
प्राणIयामानि करोति स्म. पश्चात् अहम् ज्ञातं सः "आनंदमार्गी" उपाचार्य: आसीत्. सः मम सह वेद एवं भारतीय दर्शन विषये वार्तान् कृतवन्तः.
विद्यार्थिन 24, न न 24*8 सूत्राः आसन्, यैः यत्किंचिद इच्छति स्म, तदैव तत्र आगच्छति स्म.
* ऊपर के बात के छोड़ के हॉल के जिनगी खूब नीमन रहे.
भोरे भोरे 3 - 3.30 बजे उठ के एक आदमी रंग बिरंग के प्राणायाम करत रहन. बाद में हमरा पता चलल कि ऊ एगो बढ़ आदमी रहन. हमरा से ऊ वेद आ हिंदी दर्शन प बात करत रहन.
बाद में ५ - ६ महीना बाद पता चलल: ऊ आनन्दमार्ग के एगो उपाचार्य रहन.
विद्यार्थियन के 24 समूह! बड़ा आनंददायक!! जे, जे कुछुओ चहले, बस हाजिर!!!
व्यावहारिक रूप से 24 जरिया, ना ना 24*8 में से ढेर. *
** Except the above, the Hall-life was very
nice.
Early in the morning at 3 am / 3.30 am one mate gets up
starts his various types of Pranayam. Later I came to know that he was a great
person. With me he used to talk for long about Vedas and Hindu Philosophy.
Later after 5-6 months I came to know: he was an
Upa-Acharya in ‘Ananda Marg’.
A company of 24 students! Very enjoyable!! Whatever one
liked, pat it was available.
Practically we had 24 resources, nay many of the 24*8
resources. **
सिवमिल छात्रावासस्य दिन एवं रात्रि भोजनं सामान्यम्, जलपानं त्यक्त्वा.
एकमासपाश्चात् अहम् ज्ञातं यत्, अदूरे 'लवकालेजजलापानगृहे' अति सामान्य, परन्तु अति स्वादिष्टं
स्वास्थ्यप्रदजलपानं मिलति, परन्तु अनेकजनाः एकसमये जलपाणाय एकपश्चात् एककृत्वा तिष्ठन्ति तत्र.
अहमपि प्रातः स्नानसंध्या कृत्वा एकछात्रस्य पृष्ठे अतिष्ठं
तत्र. अनेकाः छात्राः मात्र 'कचुडिका तथा आलूका-लौकामिस्रितशाकं आनयितान्, अतएव अहमपि तदैव आनयितम्. सर्वे अति सामान्यं तथा स्वादिष्टं आसान् स्वास्थ्यप्रदम च.
* सिवमिल हॉस्टल के दिन आ रात के भोजन त नीमन रहे, खाली जलपान छोड़ के.
करीब 1 महीना बाद हमरा पता चलल कि हॉस्टल के नियरे लॉ कालेज के केंटीन में बड़ा नीमन, सादा, स्वादिस्ट आ हेल्दी नास्ता मिलेला, बाकिर लमहर लाइन लागेला ऊहां, जहां हमार
24*8 में से ढेर लोग जात रहन भोरही. अगिला दिन हमहुँ लाइन में खड़ा हो गइनी. सब लोग कचौड़ी आ आलू-लौका के सादा तरकारी लेत रहन, त ऊहे हमहुँ ले लेनी.
मजा आ गइल!! अतना सादा, आ अतना स्वादिस्ट, कवनो मशाला-उसाला, तींतो ना, खाली रिब रिब. मजा आ गइल अइसन नीमन जलपान ले के!!! *
** The Civmil Hostel Lunch and dinner were quite good,
but for the breakfast.
After about a month, I came to find that in the near-by
Law College Hostel, very tasty and healthy break fast was available and many of
our 24*8 class-mates used to go there and stand in the long-line for one’s
turn. i too stood with lots of curiocities. **
** Most of the students were taking
‘Kachaudis and Kaduu+Potato or pea’ plain and simple curry but so tasty! and of
course healthy!!!
I had
never taken such tasty simple curry in my life!!
Even now when I am writing these lines after
about 6 decades, i recall the taste of the Law College Curry!!! **
सिवमिलछात्रावासनिकटे माता गंगा तटे 'रानीघाट' नाम्नी स्थाने उपविशतुम् प्रतीति यत् अहम् मातागंगा क्रोडे उपविशन् आसम्, कति आनन्दप्रदमेतत्, तस्य वर्णनं कर्तुमसमर्थं अहम्.
* सिवमिल हॉस्टल के नियरे गंगा मइया के 'रानी घाट' रहे, जहवां गंगा मैया के गोदी प बइठ कतना नीमन आ आनंददायक लागत रहे, ओकर बर्णन करे के हमरा पास शब्दे कहाँ बा. *
** Closed to Civmil Hostel was ‘Rani Ghat’ of river
Ganga; sitting on the lap of Ganga and viewing mother Ganga to flow calmly used
to be so heavenly soothing!!! **
अहम् तु मातागंगातटे ज्ञानपुरम् ग्रामे, बरहरा, भोजपुर मंडले, बिहार प्रान्ते जातः. तथा अधुना तस्यै क्रोडिकायाम् 'रानीघाटे' अस्मि !! अहम् कति भाग्यशाली!!!
अद्य च अहम् भागशाली प्रतिदिनं गंगाजलपानं कृत्वा.
* हम त गंगा मइया के किनारे ज्ञानपुरम गाँव, बरहरा, जिला भोजपुर, बिहार में जनमनी; आ अब उनके गोदी में 'रानी घाट' में !! हम कतना भाग्यशाली बानी !!!
आजो हम ओसही भाग्यशाली बानी रोज गंगाजल के पान क के.*
** I was born on the bank of Mother Ganga in Gyanpuram,
Barahra, Dt Bhojpur, Bihar; and now in her lap in Rani Ganj!! I am so
fortunate.
Even now, I am fortunate to daily get Gangajal from
mother Ganga. **
इति पञ्चमोभागः. ई भइल 5म भाग. The 5th Part Ends.
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