** 02.03.2018 CE, सृ.
01.01.9118.
“9.2 Autobiography of Dr Pt Deo Dutta
Sharma”
** नवम् भागम् Navam Bhaagam, भाग Bhaag - 9 Part- 9 Page
9.01– 9.61
9.2 **
Autobiography of
Dr Pt Deo Dutta
Sharma
02.03.2018
**
0o...m
Om
आत्मकथा Aatmakathaa
देवदत्त
शर्मा Deva Datta Sharmaa
* देवदत्त
शर्मा के आत्मकथा
Deva
Datta Sharma ke Aatmakathaa
SrisTyabda: 14.09.1 972 949 116 din
se
likhal suru *
देवदत्तशर्मIइहलोकावतरणम्.
ब्रह्माण्डे
इहलोके आकाशगंगायां सूर्यमण्डले पृथिव्याम् भारतवर्षे विहारप्रदेशे भोजपुर-मंडले ज्ञानपुर-ग्रामे आचार्य पण्डित
अम्बिकादत्त शर्मा गृहे
श्रीमती
देवरती देवी गर्भात् 14 अग्रहायण-मासे
सृष्टयाब्द
1 972 949 036 वर्षे द्वितीय पुत्रमवतरितः.
DevaDattaSharmaaIHALOKaAvatara0Iam.
Brahmaa0Ie IHLOKe Sooryama0Iale Prithivyaam YureshiyaaMahaadeshe BhaaraataVarze
BihaaraPradeshe BhojpuraManDale GyaanpuraGraame
AchaaryaPanDitaAmbikaaDattaSharmaaGrihe Shrimati DevaratiDeviGarbhaat
dwiteeyaPutra: jaata:.
* देवदत्त शर्मI के इहलोक मे जनम.
ब्रह्माण्ड के इहलोक के आकाशगंगा के सूर्यमण्डल के पृथ्वी प, यूरेसिया
के भारतवर्ष के विहार प्रदेश के भोजपुर-मंडल के
ज्ञानपुर गIव मे आचार्य पंडित अम्बिकादत्त शर्मा के घरे
श्रीमती देवरती देवी के पेट से
दूसर बेटा के जनम भइल. *
1.1
प्ररतIवनI Prastaavanaa प्ररतIवनI Initiation
देवदत्तः
विचारयत् केन प्रकारेण एकसामान्य व्यक्ति सतत अथक पूर्णतया सत्याधारित प्रयासेन स्वदेशाय
जनसमुदायाय किं कर्तुम् शक्नोति,
सत्यपथे
कानि कंटकानि दर्शयति अत्र.
**
Deo Dutta decided to produce his Autobiography to depict what an ordinary
person can do for the Motherland, Society and Mankind by dedicated non-ending
efforts following the path of truth.
It
also throws light on the hurdles on the
Path
of Truth.
Deo
Dutta is fortunate to be born in
"The
House of Vedas and Ayurveda"
as
the Second son of
Acharya
Pt Ambika Datta Sharma & Shrimati Devarati Devi, a literate-learned person
from whom he inherited enormous Knowledge:
Theoretical
as well as Practical, following the path of Truth for the good of all beings,
living and non-living. **
आचार्य अम्बिकादत्त शर्मा एवं
बुद्धिमति
श्रीमती देवरती देवी द्वितीय
पुत्ररूपेण
"वेदIयुर्वेदगृहे" जात:, तथा तेन अतुलनीयज्ञानं प्राप्त: व्हुजनहिताय.
प्राचीन–अर्वाचीन-ज्ञानसह डॉ पण्डित
देवदत्त शर्मा अमुल्यज्ञानम् जनहिताय, तेषाम् संवर्धनाय कार्यम् कर्तुमिच्छति.
**
Having a blend of Ancient Classical and
Modern
Knowledge
Dr
Pt Deo Dutta Sharma
has
acquired enormous knowledge which he likes to share to Mankind as a Whole for
the good of all. **
2 ** नवम् भागम् Navam Bhaagam, भाग Bhaag – 9
Part- 9 Page
9.26– 9.
36.
प्रवेशं CEDB, ‘हिंदुस्तान इस्पात मर्यादितम्’,
राँची / राउरकेला, भारत CEDB, ‘राहिंदुस्तान इस्पात मर्यादित’,
राँची / राउरकेला में प्रवेश. Joined CEDB, HSL, Ranchi / Rourkela, India. Page 9.26 – 9.31
36.0 कार्य / अभियंत्रण सेवा:-
मम पितI आचार्य पंडित अम्बिकादत्त शर्मा, शिक्षाविद, समाज
सुधारक:-
आंग्ल-Saasan-सेवा सदा अस्वीकृत:, अतएव सावित्री
पाठशालI एवं लोकमान्य ब्रह्मचर्याश्रम स्थापितवां तथा सृ.
9048 वर्ष दिवंगत:.
* रोजी /इंजीनियर के सेवा:
हमार पिता जी आचार्य पंडित अम्बिकादत्त शर्मा, शिक्षाविद, समाज
सुधारक सृ 9048 में दिवंगत होगइलन, जब हम 9 बरिस के रहीं, तबहीं से हमार धंधा बनल एगो
किसान, सामाज सेवी ट्यूटर आ विद्यार्थी. पहिले ामार पिताजी अंग्रेज सरकार के नौकरी ना
कईलन, आ सावित्री पाठशाला आ लोकमान्य ब्रह्मचर्याश्रम बनवलन जेकरा
के बिहार सरकार हथियालेलस, उहे कास्ट-पॉलिटिक्स
क के.
** Choice
of Employment / Service as an Engineer:
** In 1947 my
father, Acharya Pt. Ambika Datta Sharma, an Educationist
and Social Reformist had left us forever when I was just
8 year's young; since then I got employed as a Farmer, Social Worker, Tutor and
Student.
My father decided not to
serve British Government, thus he established
Savitri Pathshala and
Lokamanya Brahmacharyashram in
Muzaffarpur, Bihar, India. **
यदा
सृ. 9062 वर्ष देवदत्त शर्मा 'पटना विश्वविद्यालयात्', 'बिहार अभियंत्रण महाविद्यालयात्' वहिः आगत:, सः 'अभियंता देवदत्त शर्मा' रुपे आगत:. अद्य 'बिहार अभियंत्रण महाविद्यालय:', 'राष्ट्रीय तकनीकी संस्थानम्, पटना', NITP
रुपे प्रसिद्धम् .
Yadaa
Sri 9062 Varze Deva Datta Sharmaa ‘PaTnaa Vishwavidyaalayeen’ ‘Bihaar
Abhiyantra0Ia Mahaavidyaalayaat’ vahi: aagata:, sa: ‘Abhiyantaa Deva Datta
Sharmaa’ roope vahi: aagata:. Adya ‘Bihaar Abhiyantra0Ia Mahaavidyaalaya:’
‘RaazTreeya Takaniki Sansthaanam, PaTnaa’ NITP rope prasiddham.
जब सृ. 9062
बरिश में देवदत्त शर्मा 'बिहार कॉलेज ऑफ़ इंजीनिअरिंग'. 'पटना विश्व विद्यालय' से बाहरी निकललन त ऊ भइलन 'इंजीनियर देवदत्त शर्मा'; आज 'बिहार कॉलेज ऑफ़ इंजीनिअरिंग'. भइल 'राष्ट्रीय तकनीकी संस्थानम, पटना', NITP.
* Jab Sri:
9062 Baris me` Deo Dutta Sharma ‘Bihar College of Engineering’, PaTnaa
Vishwavidyaalay se bahari nikalalan ta~ uu bhailan ‘Er Deo Dutta Sharma’. Aaj
‘Bihar College of Engineering’, ‘RaazTreeya Takaniki
Sansthaana, PaTnaa’ NITP ke roop me` prasiddha baa. *
**
In 1962 CE when Deo Dutta Sharma came out of ‘Bihar College of Engineering’,
Patna University, he became popular as ‘Er Deo Dutta Sharma’. Today ‘Bihar
College of Engineering’, Patna University, has become NITP: ‘National Institute
of Technology, Patna’. **
सृ 9062 हम
यांत्रिकी अभियंता
बननी, त भारत
के बर्तानिया से स्वतन्त्रता
मिल गइल रह, एह से
हम भारत सरकार के सेवा
में जाये के चहनी.
बिहार
में जात-पांत वाला राजनीति तब से
आज तक चलता;
सृ 9048 में बिहार सरकार एही जातिवादी शासन से "लोकमान्य ब्रह्मचरताश्रम" के ले लेलस,
जे हमार पिताजी स्तापित कइले रहन,
** In 1962 when I became a Mechanical Engineer, India was free
from British Rule, thus I liked to go for the service of Government of India. Cast politics was and is
flourishing in Bihar in 1947 to 2018 who acquired 'Lokamanya Brahmacharyashram'
established by my father, we 2 brothers had decided not to go for the service
of
Bihar Goverment governed by 'Cast Politics'. **
तथापि अहम् तू भारत दर्शन कर्तु` इच्चम्, अतएव यदा अहम् अंतिम् बर^षे आसम्, अहम् अनेकाः शासकीय
विभागे, संस्थानेसु, यत्र आसीत् भाभा-नाभकीय संकाय, लिग्नाइट निगमे, हिन्दुस्तान स्टीलमर्यादितं, फर्टिलाइजर
कॉर्पोरेशन सिंदरी, आवेदनम् कृतः, न तू पीडब्लू
दी बिहार.
* बाकिर हम भारत दर्शन करे के चाहत रहीं. एह से जब हम फाइनल
इयार में रहीं, तबहीं हम अनेक सरकारी विभाग, संस्थान पब्लिक न्दरताकिंग आदि जे
यात्रा भत्ता डेट रहन ; हम 56 जगह दरखास्त देनी, 6 साक्षात्कार में
गइनी जइसे यूपीएसी , भाभा अटॉमिक एनर्जी कम्मिस्सान ट्राम्बे,
लिग्नाइट कॉर्पोरेशन, हिन्दुस्तान स्टील ल्टड, फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन सिंदरी,
पीडब्लू दी बिहार
जहां हम दर्खासतो ना देल रहीं.
** However, I wished to see India. Thus,
while even in final year engineering studies, I had applied for various
Government Departments, Institutes, Public Undertakings who offered to provide
at least TA for the interview. Thus I had applied for 56 places, and could
attend 6 interview calls including UPSC, Bhabha Atomic Energy Commission
Trombay, Lignite Corporation Tamil Nadu, Hindustan Steel Ltd, Ranchi;
Fertilizer Corporation of India Sindri, PWD Bihar although I hadn't applied to
the PWD. **
देवदत्तः ब्राह्मणः, अतः त` भारत सासनेन सदा सासनलाभान् वाञ्छितं कृतः, यत् सासनः वर्णानुसारेण शासकीय सुविधा` यच्छति.
परन्तु अधिकांस जनाः सदा मम कार्येण आह्लादिता:.
*
काहे
कि
देवदत्त
एगो
गरीब
ब्राहमण
परिवार
में
जनम लेले,
उनका
के
जाती
- पाँति
प
भेद करेवाला भारत सरकार,
जिनगी
भर
दबावत रहल, ई
मान
के
कि
सब ब्राह्मण
लोग
अत्युन्नत
होलन,
आजो
इहे
हाल
बा,
जे
से
भारत
आ
प्रान्तीय
शासन जाती
- पाँति
के
आधार
प
लोगन
के
सुबिधा
देला
परन्तु अधिकांस लोग सदा
हमार
काम
के
सरहले.
*
** Since Deo Dutta Sharma came from a poor Brahman family, he was
always suppressed by the Indian Government throughout his life, considering ‘any Brahman fully developed’ and deprived of
most governmental facilities discriminating people on cast basis.
However, most people always recognized his deeds. **
यदा अहम् बिहार शासकीय साक्षाकारपत्रं
प्राप्त:, आस्चर्यचकितमभवं, यत् अहम् तत्र आवेदनपत्र` न प्रेषितः.
तदापि अहम् साक्षात्कारे उपस्थितः प्रथम अनुभव` प्राप्तुम्.
अहम् 150 प्रतियोगिजनेसु साक्षात्कारे प्रथमम्.
तदापि अहम् मम वाल्यकालात् निर्णीतं, विहार
सासनसेवा अलम्, यत् विहार सासनं पूर्णतया
जाती-पाती राजनीतिसंलग्नम्.
* जब हमरा बिहार PWD के साक्षातार
पत्र मिलल, त अचरज भइल कि ऊहा त हम दरखास्तें ना देले रहीं. तबहुँ हम इंटरविवु के पहिला
अनुभव खातिर गइनी. इंटरविउ समिति हमरा के प्रथम स्थान देलस, करीब 150 प्रत्यासियां
में.
बाकिर हम त लइकाइये से बिहार
सरकार, जहां जाती -पाँति के राजनीति होला, ऊहां सेवा ना करे के निश्चय कइले रहीं.
*
** When I received an interview call from
PWD Bihar, I was a bit surprised since I had never applied there, still I went
to attend the interview just to have a feel of
my 1st interview.
I was selected by the committee who had
placed me at the top of about 150 successful candidates.
However, I had already decided from my boyhood
not to serve Bihar Government which is full of cast-politics.**
अहम् संभवतया R 4500 (R 900 000 अडय) व्ययम कृतः आवेदनपत्राणि
प्रेसितुम, यत्र हि. स्टी . मर्यादितं यस्य आधुनिक-अवतारम सेल तथा मेकन स्तः,
यत्र 20 प्रत्यासीनः आस्तां.
* हम
करीब R 4500 (R 900 000 आज ) 56 जगह दरखास्त भेजे में खरच कइनी, आ आधा दर्जन
साक्षात्कार कइनी जे में HSL, M/s Hindustan Steel Ltd i.e. जेकर आज के
अवतार बनल SAIL Ltd, आ मेकन एलटीडी रहे जे में 20 प्रत्यासी रहन. *
** I had spent about R 4500
(R 900 000) in sending applications and attended half a dozen of offers
including HSL, M/s Hindustan Steel Ltd i.e.
SAIL Ltd as present avatar
and MECON Ltd.
About 20 candidates attended
HSL interviews. **
साक्षात्कारे 20 प्रत्यासिनः आसन्, 2, 3 प्रत्यासिन` त्यक्त्वा सर्वे विश्वविद्यालये सर्वोत्तम` आसन्, मात्र 3 सफलमभवन्, यस्मात् एकजनः 'मिस्र धातु संयन्त्रे' दुर्गापूरे गतः. अहम् तथा श्री वी. हरिहरण: 'स्नातक अभियंता' पदे sthaapita:, tathaa dwe Shri
RP Sinha, Mukhya Abhiyantaa eva` Shri AC Banergee, UpMukhya Abhiyantaa sammukhe
gatavantau.
Tatpascaat
aawaa` राउरकेला सी. ई. डी. बी गतवनतौ.
* इंटरविउ में
20 प्रत्यासी रहन जे में 2, 3 के छोड़ के सब यूनिवर्सिटी टोप्पर
रहन. ओह में से
3 लोग चुनइलन; जे में से एगो त ए. एस. पी ज्वाइन कइले आ हंम आ श्री वी हरिहरन सी. ई. डी. बी ज्वाइन कइनी जा.
हमनी दुनो के राउरकिला साइट आफिस ज्यॉइन कइनी जा.
*
** Out of 20 in total, only 3
candidates were selected including myself and V. Hariharan who opted CEDB,
while the 3rd candidate opted for ASP, Alloy Steel Pland,
Durgapur.
Thus I joined CEDB,
"Central Engineering and Design Bureau", a Division of M/s Hindustan
Steel Ltd on 24th Dec 1962 and was posted at their Branch office at Rourkela
Steel Plant. **
36.1
स्थानान्तरं “CEDB हिंदुस्तान इस्पात मर्यादितम्, दुर्गापुरम्”
“CEDB हिंदुस्तान इस्पात मर्यादित HSL दुर्गापुर में बदली
Transfered
to CEDB, Durgapur, HSL Page
9.32 – 9.35
'ग्रेजुएट
इंजीनियर' पदे 'उष्णवायु भ्रष्ट्र विभागे', HSL अधुना मेकन इंडिया मर्यादितम्.
* हिंदुस्तान इस्पात मर्यादित में ‘धमन
भटठी विभाग’ में` 'ग्रेजुएट इंजीनियर' के पद प, दुर्गापुर Hindustan Ispaat
Maryaadit me` 'Dhaman BhatThi Vibhaag' me` 'GraejueT Injiniar' pa Padaaseen,
Durgaapur. *
**
Transferred to CEDB, Durgapur, HSL, India at the Post of 'Graduate Engineer' in
the Department of 'Blast Furnace' Iron Making, HSL, now MECON Ltd. **
अहम् रIरकेलात् दुर्गापुर स्व सामग्री सह रेलयानेन आगतः. रेल-स्थाने एव नित्यक्रिया कृत्वा अहम् ‘दुर्गापुर इस्पात संयंत्र’ कार्यालये गतः, तत्रैव
“सी ई डी बी” कार्यालयः आसीत्, यत्र स्वागतकक्षे अहम् गतः
* हम राउरकिला से दुर्गापुर सामान-उमान के साथे अइनी एगो रेलगाड़ी से, आ स्टेसने प मुँह हाँथ धो धा के तइयार हो गइनी. सामान वाला बैग स्टेसने में जमा क के बस से दी एस पी गेट के सामने उतर के दी एस पी के आफिस पहुंचनी.*
** I came to Durgapur bag and baggage from
Rourkela by train, got fresh and ready in the waiting room of Durgapur Railway
Station. I then deposited my bag in the Cloack Room and left the station by a
bus for DSP, ‘Durgapur Steel Plant’ at GT Road.
I
got down at DSP Bus Stop, and walked to the DSP Administrative Building and asked the security man about
CEDP office, who pointed towards the same. **
कार्यालये गत्वा अहम् स्वागत कक्षे उपविशन् शीघ्रमेव श्री दास:, सहायक अधिकारी आगत्य मां रोस्नर महोदयस्य कक्षे आनयत्, तदैव श्री सी एन मुखर्जी, "उष्न-भ्रष्ट्र अनुभागाधिकारी",
तत्र आगतवान् तथा मम स्थानांतरपत्रं रोस्नर महोदयस्य पत्रान् सह स्थापितावान्.
* आफिस में घुस के रिसेप्सन प जा के पूछनी, त रुके के कहाइल, तुरते सहायक अधिकारी अइलन आ हमारा के मिस्टर रोस्नर, रेजिडेंट इंजीनियर कीहाँ ले गइलन. तुरते मिस्टर सी एन मुखर्जी, डिज़ाइन इंजीनियर, 'ब्लास्ट फर्नेस सेक्सन' अइलन आ हमार ज्वानिंग रिपोर्ट ले लेलन आ मिस्टर रोजनर के कागजन के साथ रख देलन, जे बर्तानिया के इंजीनियर रहन.
*
** I
entered into the office and enquired about Reception. As expected I was
requested to wait, soon the Astt. Administrative officer came and took me to
the Room of Mr Rosner, the Resident Engineer. Soon Mr CN Mukherjea, Design
Engineer and Incharge, ‘Blast Furnace Section’ came and took my Joining Report,
and kept the same among the papers, pending for the action of Mr Rosner who was
a British Engineer. **
"दुर्गापुर इस्पात संयंत्र", क्षमता 10 लक्ष टन प्रति वर्ष बर्तानिया सासनेन निर्मितः, "राउरकेला इस्पात
संयंत्र", क्षमता 10
लक्ष टन
प्रति वर्ष पश्चिम जर्मनी सासनेन
निर्मितः,
अधुना आर. एस. पी. क्षमता 18 लक्ष टन प्रति वर्ष यथा डी. एस. पी. क्षमता 16
लक्ष टन प्रति वर्ष भविष्यति, यस्य सलाहकारः CEDB
आसीत्.
**
DSP, ‘Durgapur Steel Plant’, capacity 1Mtpa was built with the collaboration of
UK, where as RSP, capacity 1 Mtpa of Rourkela was built by the West Germany.
RSP
was under 1.8 Mtpa Expansion and DSP and under 1.6 Mtpa Expansion for CEDB was
the Consultant. **
श्री मुखर्जी मां अनुभागे आनयितवान् तथा श्री एस. एन. वज़ीर, ‘कोकोवेन बाइ प्रोडक्ट संयन्त्र' अधिकारी सह,
श्री सेनगुप्ता, 'इस्पात संगलन केंद्र' अधिकारी, श्री सील, 'वेलन यन्त्र', श्री पी. सी. लIहI सह साक्षात्कारम् कारयोत्
* श्री मुखर्जी हमरा के सेक्सन में ले अइलन आ श्री एस एन वज़ीर, इंचार्ज कोकोवेन बाइ प्रोडक्ट प्लांट, श्री सेनगुप्ता इंचार्ज एस. एम. एस,
श्री सील, सेनिअर डिज़ाइन इंजीनियर इंचार्ज रोलिंग मिल्स, आ श्री पी सी लIहा, सेनिअर डिज़ाइन इंजीनियर रोलिंग मिल्स, श्री वी गंगा राव, सहायक डिज़ाइन इंजीनियर धमन भट्ठी, श्री ए क दास ड्राफ्ट्स मैन; आ दूसर लोगन से मिलवलन. *
**
Mr Mukherjea took me and introduced me to Mr Sengupta, the Incharge Steel
Melting Shop, Mr Narsinghan, Asst. design Engineer SMS; to Mr PC Laha DE
Rolling Mills and Mr S N Wazir, the incharge COBP, Coke Oven & Byproduct
Plant and to other Engineers. **
37. प्रथम स्मरणीय दिवसं दुर्गापुर Pratham
Smara0Ieeya-divasam Durgaapure. दुर्गापुर में पहिला यादगारी
के दिन-रात Durgaapur me` Pahilaa Iyaadgaari ke din-raaat.
First Memorable Day & Night in CEDB,
Durgapur. Page 9.36– 9.39
परिचय पश्चात्, श्री सी. एन. मुखर्जी अपृच्छत्, “अहम् कुतः अतिष्ठम्?”
अहम् कथितं, “रेलस्थानात् अत्र.”
श्री सी. एन. मुखर्जी कथित:,
"भवान् अद्य अस्माकं सह स्थास्यति, तथा श्वः दुर्गापुर गृहे गमिष्यति, यत्र राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री च तिष्ठन्ति. "
* परिचय के बाद, श्री सी एन मुखर्जी हमरा से पुछलन कि हम कहाँ ठहरल बानी. हम कहनी, स्टेशन से सीधा अइनी.
श्री सी एन मुखर्जी कहलन, "आप आज हमनी कीहाँ ठहरीं, आ काल्हु से 'दुर्गापुर हाउस' में जे डी एस पी के विख्यात अतिथिगृह ह. जहँवा राष्ट्रपति आ प्रधान मंत्रीओ ठहरेलन. *
** After introduction, Mr CN Mookhergea asked me where I was put
up.
I said, “I straight came from the station.”
Mr CN Mookhergea said, “Today you stay with one of us, from
tomorrow you will be staying in ‘Durgapur House’, the prestigious Guest House
of DSP: ‘Durgapur Steel Plant’ where even President / PM of India used to stay.
**
श्री दासः मम परिचयः श्री ए एन एस पिल्लै (परिवर्तित नाम) सह
कृतः, यः कथित:, "श्री शर्मा, भवान् रात्रौ मम सह स्थास्यति. "
अहम् त` धन्यवाद यापनं कृतः.
अवकाशपश्चात् श्री पिल्लै मम समीपे आगत्य कथित:,
"आगच्छतु गन्तुं गृहे."
अहम् तेन
सह अगच्छं तस्य गृहे, यस्य पत्नी केरल प्रदेशे गतः.
* श्री दास हमार परिचय श्री ए एन एस
पिल्लै (नाव बदलल) से करवले, जे कहलन, "श्री शर्मा, रउआ आज रात हमरा संगे
रहब. "
एह एहसान खातिर हम उनका के धन्यवाद देनी.
छुट्टी प श्री पिल्लै हमरा टेबुल प आ के कहलन,
"श्री शर्मा, अब चले के."
हम उनके साथ हो लेनी, जे अकेले रहत रहन, उनकर
पत्नी केरल गइल रही. *
** Mr Das introduced me to Mr ANS Pillai (name changed), Draftsman
of ‘Services Section’, who said, “Mr Sharma, tonight you will stay with me.”
I thanked Mr Pillai for the gesture.
After the day was over, Mr Pillai came to my table and said, “Mr
Sharma, let us go.”
I followed him who was living bachelor those days, since Mrs
Pillai had gone to Kerala. **
सः चायं तथा काफ्फी आनयित्वा पानाय कथित;, यत् अति स्वादिष्टमाशीत् किंचित् खादितुं च आसीत्.
अहम् रेल-स्थान-गन्तुं मार्गं अपृच्छम्. श्री पिल्लई बस - यानस्य पता कथित:, तदा अहम् रेल-स्थानात् मम सामग्रीन् आनयितम्.
* ऊ 1 कप काफी आ 1 कप चाह बना के ले अइले आ
कुछुओ खाये के. ले के बड़ा नीमन लागल. पिल्लई जी से हम स्टेशन जाए के राह पूछनी, त ऊ बस
स्टॉप बता देले, आ हम स्टेशन जा के आपन सामान ले अइनी बी -जोन
*
** He prepared and offered me some ‘caffee’ and a cup of hot tea,
so refreshing!!
I asked Mr Plllai how to go to Railway Station. He showed me the
bus stop, from where I caught a bus to go to the station. I took my bag and
returned to B-Zone to the residence of Mr Plllai. **
श्री पिल्लै मम प्रतीक्षाया` आसीत्. सः स्व परिवारस्य परिचय` अयच्छत्,
पञ्च भ्राता भगिन्यः.
रास्त्रो भोजनाय सांभर` सह तण्डुल` आसीत्, अति स्वादिष्टं. भोजनपश्चात् पिल्लई महोदयः द्वे त्रि मलयाली गीत-गायन` कृतः.
* श्री पिल्लै हमार प्रतीक्षा करत रहन. ऊ आपन परिवार के विषय में
बतवलन. ऊ 5 भाई बहिन रहन, 2 बहिनी के बाद ऊ रहन.
ऊ भात आ साम्भर बनवले रहन, बड़ा नीमन लागल.
रात्रि भोजन के बाद पिल्लै कुछ मलयाली गीत सुनवलन, नीमन लागल, फेरु सुत
गइनीजा . *
** Mr Pillai was waiting for me. He briefed me about his family.
He was 5 brothers and sisters, He was after 2 sisters, a small happy family.
He had prepared sambhar and rice with banana papad. I enjoyed the
dinner. This was my first experience of taking Sambhar-rice, enjoyable one, but
a bit hot
Mr Pillai sang some Malayaali songs. I enjoyed the same. Then we
went to bed.**
प्रातः यदा अहम् जाग्रतं, अपश्य` यत् श्री पिल्लै चाय - काफ़ी निर्माणे व्यस^तः. आवा` चाय
- काफ़ी पीत्वा आनंदितमभवम्.
* फजीरे जब उठनी त देखनी कि पिल्लई जी दू गो
गिलास में एगो हाँथ नीचे त दूसर ऊपर, दूसर नीचे, त पहिला ऊपर. इहे चलत रहल, जब हम उठनी.
ऊ कहले, "मिस्टर शर्मा, चाह - काफी रेडी बा. हम फ्रेश हो के अइनी, आ चाह - काफी पियल बड़ा
नीमन लागल. *
** Next morning when I got up, I saw Mr Pillai was doing exercise,
with 1 hand gradually up, then the other one holding a glass. He was repeating
the same again and again, in fact he was preparing coffee.
Meanwhile I got fresh. He offered me fuming hot coffee and some
South Indian preparation. We enjoyed the coffee.**
तांदूळ-पर्पटी, अम्ल-सूपम सह भोजन` अति आनन्ददायकमासीत्. दुर्गापुर इस्पात बस-यानेन CEDB कार्यालय`
अIवा` आगतवन्तौ, यत् 40 - 45 किलो. मी. आसीत्.
मम दुर्गापुरस्य प्रथम दिवस` अति आनन्ददायक` विभिन्न प्रदेश-जनै:
मिलित्वा, ये अति सामान्य-सुंदर-सहायकाः आसन् .
* डोसा, चटनी आ साम्भर से नास्ता कइनी जा, बड़ा नीमन.
दी एस पी के एगो बस से CEDB आफिस पहुचनी जा, जे 40 से 45 किलो मी रहे.
हमार दुर्गापुर के पहिला दिन बड़ा आनंददायक
रहे, भारत के सब प्रांतन के लोगन से मिल के, जे बड़ा साफ़, सुनर आ सहायक रहन
एगो परिवारे जइसन *
** We took breakfast with Dosa, catnee and Sambhar. Very
delicious.
We caught a DSP bus, and came to CEDB office. It was about 40, 45
minute enjoyable ride.
The first day of my professional life at Durgapur was very
enjoyable, meeting people coming from different parts of India but all very
simple, nice and helping like a
38. "ऐच. ई. रोजनर:, सी. एन. मुखर्जी, पी. सी.
लाहा, वी. गंगा राव:, बी. एन. मित्र: , वी. के. कपूर:, वी. हरिहरण:, सोमयIजीलू आदि
वरिष्ठ - कनिष्ठ मेलनम्. सीनियर आ जूनियर के मेल Siniar-Juniar ke
Milaan. "HE Rosner, CN Mukherjee, PC Laha, V. Ganga Rao, DD Sharma, BN
Mitra, VK Kapoor, (V. Hariharan, Somayaajulu) etc" meet of Seniors and
Juniors.
Page
9.40– 9.45
मम व्यवसायिक जीवनं तु पिल्लई महोदयेन सह १२ - १४ बस-यानेन
कार्यालय` आगमने प्रारभत्. श्री दास:, मां अतिथि गृहे
स्थातुं कथित:.
* हमार व्यवसायिक जिनगी के दूसर दिन के शुरुआत
भइल डी एस पी के बस से श्री पिल्लई के साथ CEDB अइला प. डी एस पी के
१२ - १४ सब के एक रेखा में` शहर में चलल देखल अपने में अद्भुत अनुभव रहे;
जब हम कार्यालय पहुंचनी, त श्री दास ऑस्स्ट
एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर हमरा के अतिथि घर में ले जाके रुके के
कहलन. *
CEDB Office with Mr Pillai in the DSP Chartered Bus. The row of 12
– 14 buses running one behind the other was itself a new experience.
When I reached office, I was requested by Mr Das, the Astt.
Administrative Officer to wait in the ground floor guest room, by the side of
the Library. **
शीघ्रमेव श्री दासः आगतः तथा मम सह उपरि आगतः, सोपानं तथा उपरि प्रांगण` सोभायमानं सुसज्जितं अस्माकं आगमने.
श्री
सी. एन. मुखर्जी, पी. सी. लाहा, वी. गंगा राव:, बी. एन. मित्र: , वी. के. कपूर:, वी.
हरिहरण, सोमयIजीलू आदि वरिष्ठ - कनिष्ठ मेलनम्.
सीनियर
आ जूनियर के मेल Siniar-Juniar ke Milaan.
CN
Mukherjee, PC Laha, Sengupta, V. Ganga Rao, DD Sharma, BN Mitra, VK Kapoor, V.
Hariharan, Somayaajulu etc meet of Seniors and Juniors. .
सर्वे 'वासिन अभियन्ता' आगमनाय प्रतीक्षाया` आसन्. तदैव रोज़नर महोदयः आगतवान् तथा सर्वे 'सुप्रभातम्' कृतवन्तः.
तदा सर्वप्रथमं श्री सी. एन. मुखर्जी मम परिचयं रोज़नर महोदयेन सह कृतवान्.
स: "स्वागत` मम युवा अभियंता",
कठित्वा स्वागत` कृतवान्.
एवमेव प्रांत: सम्मेलन` सम्पन्नम्.
तत्पश्चात् सर्वे स्व स्व स्थाने गतवान्, अहम् च स्व स्थाने आगत:.
मम सम्मुखे भित्तिका सह श्री जे. मसन्द उपविशन् आसान् तथा मां आहुयताम्.
सः स्व परिचयम् कृतवान् 'सहायक अभिकल्पन् अभियंता',
वेलन – यंत्रश्रृंखलायान्’ कार्यरतः आसीत्.
सः कथितवान् यदि किचिद^ सहाय्यं आवश्यकं, सः करिष्यति.
*
तुरते श्री दास अइलन आ हमरा के एकतल्ला प हॉल में ले गइलन, सीडी घर आ ऊपर के लोब्बी के खूब सजावल गइल रहे.
हॉल में सब लोग खड़ा रहन आ रेजिडेंट इंगिनीर मिस्टर रोज़नर के प्रतीक्षा करत रहन. तबहीं मिस्टर रोज़नर अइलन जेकर "गुड मॉर्निंग'' कह के स्वागत भइल.
श्री सी एन मुखर्जी सब से पहिले हमIर के परिचय करवलन मिस्टर रोज़नर से, जे हमार "वेलकम माई यंग इंगिनीर" कह के स्वागत कइलन. एह तरह से रोज भोर सुरु होत रहे सब के.
हमहुँ अपना सीट प गइनी काम करे खातिर. हम असहीं बइठल रहीं, कि श्री जे मसनद, हमरा के बुलवले, जे हमरा सामनहींये दीवाल किनारे बइठल रहन.
ऊ आपन परिचय देलन ‘सहायक अभियंता’, बेलन-मिल आ कहले कि "कवनो जरूरत होखे, त बोलेंगे *
**Soon Mr Das came and took
me to the First Floor Hall through well decorated stair case and FF lobby.
In the FF Hall everybody
had assemble and waiting for the Resident Engineer Mr Roszner. Soon Mr Rozner
arrived who was welcomed by “Goood morning” in corus.
Mr CN Mookhargea first
introduced me to Mr Rozner, who welcomed me as a young Engineer. The morning
meet then dispersed.
I too went to my seat to
start my work. I was just waiting, when Mr J Masand, ADE Rolling Mills who was
sitting by the side of the wall facing me, called me. He introduced himself to
me and said that in case of any problem I could consult him. **
तदा अहम् श्री सी. एन. मुखर्जी सह "दुर्गापुर
इस्पात संयन्त्रे" आगत: तथा स: मम परिचयः श्री के. सी. खन्ना,
'उष्णवायु
भ्रष्ट्र विभाग' अधीक्षकेन सह कृतवान् , यः सेल, सभापतिः रूपे
अवकाश प्राप्त:.
सः मम परिचयः श्री अयंगर, 'उष्णवायु भ्रष्ट्र’
अग्रणी सह कृतवान्. श्री मुखर्जी मां कथितवान् , मया
एक मासाय प्रतिदिनं अत्र आगत्य श्री अयनगराधीने मम दीक्षा कार्यं करणीयम्.
तदा आवा` CEDB आगतवन्तौ.
मध्याह्ने अहम् श्री दासेन सह भोजनालये भोजनम् कृतः. तत्पश्चात् अहम् CEDB पुस्तकालये गतः. यत्र
अनेकाः देशी, विदेही तकनीकी पत्रिकाः आसन्.
* तब श्री सी एन मुखर्जी हमरा के ले के डी एस पी: "दुर्गापुर
इस्पात संयंत्र" ले गइलन. ऊ हमार परिचय श्री के सी खन्ना, सुपरिटेंडेंट, 'धमन
भट्ठी' से करवलन, जे सेल के चेयर-मैन के रूप में अवकाश पवलन. ऊ श्री अयंगर,
फोरमैन 'धमन भट्ठी' के बुलवलन, आ हमरा के कहल गइल रोज एहिजे
एक महीना तक आ के श्री अयंगर जी के अंदर दीक्षा-काम करे के.
फेरु हमनी के CEDB अइनी जा. दू पहर के खाना, बगल के एडमिनिस्ट्रेटिव
भवन के कैंटीन में श्री दास जी के साथ कइनी.
फेरु हम CEDB के पुस्तकालय गइनी जहां ढेर देश के आ अंतर्राष्ट्रीय
जर्नल सब रहे .
** Then Mr Mukharjea came and took me to the Blast Furnace
Department of DSP: ‘Durgapur Steel Plant’. He took me to Mr KC Khanna, then
Superintendant, Blast Furnaces, retired as Chaiman, SAIL, who called Mr
Ayanger, Sr Blast Furnace Engineer. I was told to come to this BF Department
and report to Mr Ayanger for one month as the Orientation Training.
We then went back to CEDB. In the afternoon, after taking my lunch
in the DSP Administrative Building Canteen with Mr Das, I went to the library
where a number of International journals were available. **
श्री दास महोदय: मह्यं एकपत्रं दत्तः "दुर्गापुर गृहाय", 15 दिवसाय एक प्रकोष्ठ` दातुं. इदं भवन` भव्यमस्ति, यत्र महत्वपूर्ण अतिथि च तिष्ठति यथा प्रधान मंत्री, मुख्य मत्री प्रभृति.
अहम् एक प्रकोष्ठं प्राप्तः तत्र. तदा अहम् श्री पिल्लै निवासे गत्वा मम सामग्री आनयतम्.
तदा मम जीवनः
एक 'स्नातक अभियंता’, CEDB, HSL,
"हिन्दुस्तान स्टील मर्यादित"
रूपे प्रारभत.
* श्री दास जी कार्यालय वाला, हमरा के 'दुर्गापुर हाउस ' के नाव से एगो चिट्ठी देलन, जे में हमरा खातिर 15 दिनन खातिर एगो कमरा देबे के कहल गइल रहे, अतिथि जइसन. पांच बजे के छुट्टी के बाद, हम "दुर्गापुर हाउस" गइनी, जे रहे लायक सुन्दर आ भब्य महल रहे. सब महत्वपूर्ण लोग एहिजे ठहरत रहन, जइसे पी एम्, सी एम् आदि. हमरा के ग्राउन्ड फ्लोर में` एगो कमरा मिलल, एह से हम श्री पिल्लै के धन्यवाद कह के आपन सामान ले अइनी कमरा में, जे 3, 4 स्टार होटल जइसन सुसज्जित रहे.
एह तरह से सुरु भइल हमार दिन "ग्रेजुएट इंजीनियर ', CEDB, HSL,, "हिन्दुस्तान स्टील मर्यादित", जे अब मेकन बनल बा.
** Mr Das of Administration
gave me a letter addressed to ‘Durgapur House’ to allot me a room live there as
a guest for 15 days. After 5 PM, I went to ‘Durgapur House’, a really marvelous
and splendid place to live at. All the VIP guests used to stay here. I was
allotted a room there. Thus, I thanked Mr Pillai and shifted to ‘Durgapur
House.”
Thus my days started as GE,
‘Graduate Engineer’ at CEDB, ‘Central Engineering Design Bureau’, a Division of
HSL, ‘Hindustan Steel Ltd’ now SAIL, ‘Steel Authority of India Ltd’ started. **
शीघ्रमेव श्री वी. हरिहरन, ‘स्नातक अभियंता’, "कोयला कुल्हा
तथा उपउत्पादकसंयन्त्र" तथा श्री बी. एन. मित्र, ‘स्नातक अभियंता’, उष्ट्र
भ्रष्ट्र संयन्त्र रूपे आगतवन्तौ.
द्वे मम सह "दुर्गापुरगृहे" निवसन.
अस्माकं दीक्षा 3 मासपर्यन्तमभवत् दुर्गापुर
संयन्त्र 'उष्णवायु
भ्रष्ट्र विभाग^ए'
तत्पश्चात् अस्माकं दीक्षा "कार्यारते"
अभवत्.
* तुरते श्री वी हरिहरन, स्नातक अभियंता,
"कोयला कुल्हा तथा उपउत्पादकसंयन्त्र आ श्री बी एन मित्र, स्नातक अभियंता,
उष्णवायु भष्ट्र संयन्त्र अइले,
जे हमरे साथ में रहे लगलन.
हमनी तीनों के दीक्षा सुरू भइल जे ३ महीना
चलल दुर्गापुर संयन्त्र में फेरू हमनी के "काम करत दीक्षा"
सुरु भइल. *
** Soon Mr V. Hariharan, GE and Mr BN Mitra GE also joined CEDB in
COBP, ‘Coke Oven & Byproduct Plant’ and BF Section repectively. Mr BN Mitra
was following me to the Blast Furnace Department of DSP. Mr Mitra and Mr
Hariharan also started living in ‘Durgappur House’.
Thus our Training Started.
We 3 completed our 3 months ‘Orientation Training’ in DSP and
posted on ‘On the Job Training’ for rest of 2 years’ period. **
39.
हस्त रेखायाम् मूलप्रयोगम् Hasta-rekhaayaam
MoolaPrayogam ‘दुर्गापुरसम्मोहने’ सामुद्रिक
शास्त्र के प्रयोग ‘Durgaapur Klab’ me`Saamudrik Shaashtra ke suruaati Prayog. Basic
Experiments on Palmistry in ‘Durgapur Club’. Page
9.46 – 9.56
39.1
Praapnuvantu yatkincidicchati Je Man se caahee`, uhe payee`.Get whatever you think whole heartedly: Page 9.46 – 9.50
"दुर्गापुरगृहस्य"
निकटे प्रखंड-1, ए - क्षेत्रे
"दुर्गापुर सम्मेलनगृहम्"
अस्ति, यत्र एच. एस. एल. अधिकारी आगच्छन्ति. वयं त्रयः, अहम्, विश्वनाथ मित्रः तथा वी. हरिहरनः एतत सम्मेलनगृहस्य सदस्यता प्राप्तः.
* "दुर्गापुर हाउस" के नियरे सेक्टर -1, A-ज़ोने में "दुर्गापुर क्लब" बा, जहवा एच एस एल के अधिकारी आवेले. हमनी के तीनो: हम, बी एन मित्र आ वी. हरिहरनो एह क्लब के सदस्य बननी जा. *
** Very near to “Durgapur House” in Sector -1, A-Zone itself “Durgapur
Club” is situated where all HSL Officers were allowed. We 3, myself, B. N Mitra
and V. Hariharan too became the members of this prestigious Club.
**
मम कार्यालये अहम् ज्ञातं यत् विवाहित् अधिकारी जनस्य निवासगृहम् ददाति 'दुर्गापुर इस्पात संयन्त्रम'. अतः अहम् गृह-आवंटनाय आवेदनम् कृतः.
अनेकाः आलोचना कृतवन्तः,
"कथं एक दीक्षासीन अभियंता आवासीय भावनम् प्राप्तुम् शक्नोति!”
तदापि यदा मम आवेदनम “डी एस पी” प्रेषितः, ते मध्यम् निवासम् आवंटितः A
- क्षेत्रे "दुर्गापुर मनमोहन-मेलन" निकटे.
* आपन ऑफिस में हमरा मालुम भइल कि विवाहित ऑफिसर के अकेला घर मिल सकेला दुर्गापुर इस्पात संयंत्र से.
ढेर लोग कहे लगले कि कहीं ट्रेनी इंजीनियर के स्वतंत्र घर मिलेला!
तबहुओ जब हम दरखास्त देनी, त "दुर्गापुर क्लब" के नियरे A -जोन में घर मिलल हमरा. *
** In my office I came to
know that a married officer can be allotted a residential house. Thus I applied
for an independent house.
Many people commented, “How
can a trainee engineer, be allotted a residential
house!”
However, when my
application was forwarded to DSP, I was allotted a house in A-Zone very near
‘Durgapur Club’. **
अहम् मम माता तथा पत्नीं दुर्गापुरे आनयितुं गृहम् प्राप्तः. एक पूर्णकालिक पाचकम् गृहे स्थापित:, यः सर्वप्रकार-पक्वान्न` पाचयितुं निपुण: आसीत्. शीघ्रमेव अहम् खबड़ा गृहे गत: स्व माता-पत्नी` आनयितुं.
* हम आपन माई आ पत्नी के इहाँ ले आवे के निर्णय के चलते, घर के ले लेनी. फेरू रूपलाल नॉव के एगो नीमन ट्रेंड रसोइया रखनी, जे घर के देख-रखो करी आ जे बंगाली, पंजाबी, बिहारी, दखिन भारतीय आ पच्छिमी पकवान. जल्दीये हम घरे गइनी माई आ पत्नी के दुर्गापुर ले आवे खातिर. *
** I took possession of the house as I had decided to bring my
Mother and wife here. Soon I employed a caretaker cum cook who was expert in
Bengali, Punjabi, Bihari, South Indian and Western dishes. Soon I went home to
bring my Mother and wife to Durgapur.**
अहम् गृहं गतः मम माता एवं पत्नीं आनयितुं, इदं भवनम् रूपलाल सह
कृत्वा, यः मात्र 10 दिवसात् कार्यरतः आसीत्.
खबडायाम् च गृहं एक रक्षकम् स्थापित्वा, अहम् स्व माता तथा पत्नीं रीता सह दुर्गापुर` आगतः, परन्तु मार्गे ते दुर्गापूर गृहं कीदृशी, एतत् ज्ञातुं, तदा अहम् कथित:, तत् पूर्वं आंगलाधिकारी-भवनमासीत् यस्य पाचन-गृह` वहिः अस्ति.
* हम माई आ पत्नी के दुर्गापुर ले आवे खातिर खबड़ा गइनी, दुर्गापुर के घर रूपलाल के हवाले क के. खबड़ा के घर प् एगो रखवार रख के, माई आ पत्नी के साथ दुर्गापुर आ गइनी, बाकिर राह भर दुनो लोग इहे पूछत अइली कि घरवा कइसन बा. हम कहनी कि घर पहिले अंग्रेजअधिकारी के बँगला रहे.
*
** I went home , leaving the house to Ruplal, the
cook-caretaker employed just 10 days ago, taking a risk to bring my Mother and
wife. I employed a caretaker at Khabra house and returned with my mother and
Rita by train who were very curious to know how my house at Durgapur looked
like.
I said, it was a nice Bunglow, made for English men, in which
kichen was separate but well connected. **
मम निकटस्थ 'सरदार' महोदयः आसीत् यस्य सुंदरी भार्या एवं द्वौ अत्याकर्षकपुत्रौ आस्तां. सः च 'दुर्गापुर-सुम्मेलनस्य' सदस्यासीत् .
एषा भ्रातृजया सह मम माता गुरुद्वारायाम् गता सृ
9063 वर्षे, तदैव भ्रातृजया कथिता,
"माता, यत्किंचिदिच्छति, प्राप्तवन्तु."
तदा माता एकप्रपौत्र: किंवा प्रपौत्री प्राप्तमिच्छत्, तथा मने कथिता:- यदि प्रपौत्र: भविष्यति, तस्य नाम 'गुरुदत्तः' इति
भविष्यति. परन्तु एतत् सः स्व मने एव विचारयत् .
* हमार बगल के पड़ोसी एगो सरदार जी रहत रहन आपन सुनर सरदारनी आ दूठो बहुत नीमन बेटा टीटू आ बिट्टू के साथ. ऊहो 'दुर्गापुर क्लब' के सदस्य रहन. एही सरदारनी भाभी जी क साथ हमार माई गुरुद्वारा गइली सृ 9063 में, त भाभी जी कहली, "मांगिये माँ जी जो इच्छा हो. "
त माई मन से मंगली एगो बेबी, आ मन में सोंचली, "जदी लइका होइ, त ओकर नाव रखाई 'गुरुदत्त'. बाकिर ऊ केहुसे कुछुओ ना कहली ई सब, हमनिओ से ना *
** My next door
neighbor was a Sardar ji with a beautiful wife and very attractive 2
sons, Tittu and Bittu . He was also a member of ‘Durgapur Club. Ehee Sardarni
bhaabhi ji ke saath hamaar maai Gurudwaaraa gaily Sri: 9063 me`, ta Sardaarni
kahali, “Ma`giye Maa ji jo icchaa ho.”
Ta Maai man se ma`gali ego
‘baby’, aa man me` so`cali ki, “Jadi Potaa hoi, ta okar naav rakhaai
Gurudatta”. Baakir uu kehu se kuchuo naa kahali aisan. Hamanio se naa.**
तदा मम विवाहः 2.5 वर्ष पूर्वंमभवत, अतः आवाम निर्णित:, एक जातक-करणीयं.
अतएव आगतः 'गुरुदत्त:' गुरुकृपया.
* तब हमार बिआह भइला करीब 2.5 बरिश हो गईल रहे, आ सब कुछ नीमन होत रहे. एह से ओही सप्ताह हमनी के सोंचनी जा कि अब एगो बेबी आवे के चाहीं. त आ गइलन 'गुरुदत्त' गुरुकृपा से.*
** Tab hamaar biaah bhailaa karib 2.5 baris ho gail rahe, aa sab
kuch neeman hot rahe. Eh se ohi Saptah ham Pati-Patni so`canijaa ki ab ego
baccaa hokhe ke caahee`. Ta aa gailan Gurudatta Gurukripaa se. **
39.2 हस्त रेखायाम् मूलप्रयोगम् Hasta-rekhaayaam
MoolaPrayogam ‘Durgaapura Klabe’: सामुद्रिक शास्त्र के प्रयोग
‘Durgaapur Klab’ me` Saamudrik Shaashtra ke Aadhaarboot Prayog:
Basic
Experiments on Palmistry in ‘Durgapur Club’:
Page
9.51 – 9.56
मम हस्त रेखा-पठन-गुरु:- मम माता श्रीमती देवरती देवी
सामुद्रिक शास्त्र के हमार गुरु हई हमार माई श्रीमती देवरती देवी, Saamudrik
Shaastra ke hamaar Guru hai hamaar Maai, Shrimati Devarati Devi.
My mother Smt. Devarati Devi was my Guru for Palmistry.
अहम् 'दुर्गापुर मनभावन-स्थले' प्रतिदिनं गच्छति स्म, यत्र पञ्चादश दम्पति-आगच्छन्ति स्म. तै: अनेका मम निकटे आगच्छन्ति स्म हस्तरेखा दर्शयितुं. तदैव अहम् एक हास्य क्रीड़ा प्रारभतम्, यत् हस्तरेखा सम्बन्धी आधारभूत प्रयोगमासीत्, एन ज्ञातुं सम्भवम् यत् "ललनायाः वामहस्तम् तस्या” parantu daxin hasta-rekhaa: tasyaa pati /
premi janya.”
"यत् मम वाल्यकाले माता गुरु कथिता.
* हम 'दुर्गापुर क्लब' रोज जाए लगनी ; दर्जनों जोड़ी उहाँ रोज आवत रहन ; ओह में से अनेक लोग हमरा ओर खींचल आवत गइले हस्तरेखा जाने के चलते ; तबहीं हम ईगो मजाक खेल सुरु कइनी, जे असल में हस्तरेखा खातिर एगो आधारभूत प्रयोग रहे, जे से ई पता लागी कि दुनो हाँथ में कवन का देखावेला:-
" कवनो ललना के बांया हाँथ उनकरे के दिखावेला, आ कि उनकर दाहिना हाँथ उनकर पति / लवर के होला ?" :जइसन कि हमार गुरु सिखवले रही बचपन में. *
** I became a regular visitor of ‘Durgapur
Club’. Dozens of couples used to be present in the club all the time. Many of
them got attracted to me with my interest in Palmistry. Soon I arranged a fun,
which was really a basic experiment on Palmistry to find, whether:
“The left-hand-palm of a
female relates to herself, while her right-hand-palm relates to her husband /
lover” :as I was told by my Guru,
my Mother in my childhood. **
“मनभावन-स्थले” अहम् एक-सूचना प्रदर्शितः "प्राप्नुवन्तु स्व पति" क्रीड़ा 8 रात्रौ, 15 फेब्रुअरी 2063 दिवसे.
* क्लब में, हम एगो नॉटिस देनी: "आपन पति खोजीं" खेल, 15 फरवरी के 8 बजे रात *
** In the club, I placed a Notice: “Find
your husband” game on 8 pm on 15th Feb. 2063. **
"15 फरवरी 2063" दिवसे न्यूनतमम 60 दम्पति अत्र आसन्. स्व "पति प्राप्तुम" 200 % वृद्धि अभवत.
* 15 फरवरी 2063 के 7-40 बजे कम से कम 60 जोड़ा आपन "पति खोजी`"
जोड़ा उपस्थिति करीब २००% बढ़ल *
** On 15th Feb. 2063 at 7.40 pm not less than 60
couples were present to find their “Find your husband”.
The presence of couples increased by 200 %. **
अहम् अग्रे आगत्य उद्घोषितम: "दम्पति अग्रे आगत्य क्रमरूपे तिष्ठन्तु."
अतिष्ठम्.
.
"अधुना पति-छादने गच्छन्तु."
अगच्छन्.
ललनाः- "यत्कठितम् तथैव स्व वाम हस्तचतुर्रेखां आच्छादनस्य रेखासमं प्राप्तुवन्तु."
प्राप्तः.
स्लाघ्यम! "सः तव पति"
* हम आगे अइनी आ घोसित कइनी: “जोड़ी लाइन में लग जाये.”
लाइन में लगलन.
“अब मरद लोग पर्दा के पीछे जाइ.”
ओसही कइलन.
“ललना लोगनी! रउआ आपन बांयां हाँथ के '4 ख़ास लाइन, रेखा' आ दहिना हाँथ के '4
ख़ास रेखा' जइसन कहाइल बा, ओसहीं परदा के पीछे के हाथन से मिलाई.”
ओह! मील गइल!!
पकड़ लीं, ऊहे राउर पति हवन.
करीब 85 % लोगनी सही रही. *
** I took the floor and announced: Let all couples fall in line.
They did so.
Now males be behind the curtain, with both palms out of the
curtain, but entire body under the curtaion.
They did so.
Ladies! please match your ‘4 left palm lines’, as well as ‘4 right
palm lines’, as explains with
the corresponding lines on palms under the curtain.
> O! matched.
>> Catch him. He is your husband.
>>> All found that about 85% caught their husbands,
rightly. **
उपर्युक्त प्रयोगम्, आगामी सप्ताहे ३ समूहे कृतं
> सर्वेषाम् उपलब्धी 85
% - 90 % आसीत्.
प्रयोगफलम्.
ललनायाः दक्षिण हस्तरेखा तस्या पति अथवा प्रेमी जन्य भवति, तथा
केचन पुरुष-वामहस्त रेखा तस्य पत्नी अथवा प्रेमिका जन्य भवति.
* ऊपर के प्रयोग के अगिला सप्ताह ३ बैचन में कइल गइल
> सब में करीब 85 % से 90 % सफलता मीलल.
ऊपर के प्रयोग के रिजल्ट:
"ललना के दाहिना हाँथ के रेखा, उनकर पति चाहे प्रेमी खातिर होला"
जबकि,
"एगो पुरुष के बाया हाँथ के रेखा उनकर पत्नी चाहे प्रेमिका खातिर होला."
** The above experiment was repeated after a week in 3 batches.
Ø In about 85% to 90% caught their husbands, rightly**
Result
of the above Experiments:
“A females right hand palm lines is for her husband’s
/ lover’s”
where as:
“ A males left hand palm lines , is for his wife’s /
belove”,
अतएव उपरिलिखित् प्रयोगेन मम गुरु तथा मम माताकथनम् पुनः सम्पादितं (यत् जर्मन कीरो कथनात् भिन्नं).
एह से ऊपर के प्रयोगन से हमार गुरु आ माई श्रीमति देवरती देवी के पढ़ावल पाठ फेरु से सम्पादित भइल (जर्मन कीरो कथन से भिन्न).
Thus,
the above experimental results reaffirms my Guru and Mother Smt Devarati Devi’s
teachings, I got in my childhood, (unlike the German Kiro).
>>
एतत् आधारभूत ज्ञानम् येन 'हस्तरेखा-विज्ञान' प्रतिपादितम्:-
>>>
'वाम हस्त-तर्जनी-रेखा:'
प्रदर्शयति:-
'वालिकायाः, ललनायाः' वर्तमान - भूत -भविष्यत् –स्थिति.
>>>
'दक्षिणहस्त-तर्जनी-रेखा:'
प्रदर्शयति:-
पुरुषस्य 'वर्तमान - भूत -भविष्यत् –स्थिति.
>> एही सब खोजन प ‘हस्तरेखा-विज्ञान’ आधारित बा:
>>> 'बाँयां हाँथ के रेखा सब': 'लइकियन, ललना के होला’ आ 'दाहिना हाँथ के रेखा सब': 'लइकवन, पुरुषन' के होला.
>> These are the very Fundamental Findings, on which
Palmistry is based:
>>> ‘Left hand Palm’
depicts a ‘Female’.
‘Right hand Palm’ depicts a ‘Male’
>> These are the
very Fundamental Findings, on which Palmistry is based:
>>> ‘Left hand Palm’ depicts a ‘Female’.
‘Right hand Palm’
depicts a ‘Male’.
40.
उष्णवायु भष्ट्रस्य
एकप्रथम-भारतीय अभियंत्रण अभियंता देवदत्त शर्मा , हेड व्राइटसन, बर्तानिया, होम महोदय:. धमन
भट्ठी के एगो पहिला भारतीय डिज़ाइनर: देवदत्त शर्मा Deva
Datta Sharmaa
हेड व्राइटसन, बर्तानियां:
होम महोदय.
One of the 1st Indian
Designers of Blast Furnace Lines: Deo Dutta Sharma.
M/s
Headwrightson Ltd, UK Mr Home. Page 9.57–
9.61
"हिन्दुस्तान स्टील ली टे ड़", "दुर्गापुर
इस्पात संयंत्रस्य" 10 लक्ष टन क्षमता निर्माता
बर्तानिया आसीत्, यत्र ३ उष्णवायु भष्ट्रIनि आसन.
"हिन्दुस्तान स्टील ली टे ड़", इस्पात संयंत्रस्य
प्रतीक चिह्नं.
"हिन्दुस्तान स्टील ली टे ड़", "दुर्गापुर
इस्पात संयंत्रस्य" 16 लक्स टन सम्वर्धनाय 'सीईदीबी' संस्थानम
'सलाहकार:' नियोजितः.
* हिन्दुस्तान स्टील ली टे ड़ के "दुर्गापुर
इस्पात संयंत्र" के 10 लाख टन/बरिस के बर्तानिया बनवलन, जे में ३ धमन
भट्ठी रहे. धमन भट्ठी कवनो इस्पात संयंत्र के प्रतीक चिन्ह होला.
हिन्दुस्तान स्टील ली टे ड़ 16 लाख टन संवर्धन
खातिर आपन 'सीईदीबी' के सलाहकार बनवलस.*
** The 1 Mtpa DSP: “Durgapur Steel Plant” was built by British
aids, with 3 Blast Furnaces. Blast Furnaces are supposed to be Icon of a Steel
Plant.
HSL: “Hindustan Steel Ltd” appointed CEDB: “Central Engineering
& Design Bureau” as their ‘Consultant’ for 1.6 Mtpa Expansion of DSP.
**
'दुर्गापुर इस्पात संयंत्रस्य' 10 लक्ष
टन प्रतिवर्ष क्षमतायाम 3x1000 m3 उष्णवायु भष्ट्रा: आसन. 16 लक्ष
टन प्रतिवर्ष क्षमतायाम 1 x1440 m3 उष्णवायु भष्ट्रस्य निर्माणं प्रस्तावितं,
यत्र 'सामग्री मिश्रण भंडारण क्षेत्रम', 'लौह अयस्क-पक्वन संयंत्रम', 'द्वे
पंक्ति सुकर-निर्माण यन्त्रं' च प्रस्तावितम्.
.
उपर्युक्त संयन्त्राणां निर्माणं सीईडीबी, दुर्गापुर कार्यालयस्य
"उष्णवायु भष्ट्र अनुभागस्य" उत्तरदायित्वमासीत्.
* 'दुर्गापुर इस्पात संयंत्र' 1Mtpa क्षमता में 3x1000 m3 धमन भट्ठी
बनावल गइल रहे. 1.6 Mtpa क्षमता के संवर्धन में 1
X 1440 m3 धमन भट्ठी बनावे के रहे. आ 'कच्चा माल ब्लेंडिंग आ
भंडारण क्षेत्र', 'लौह अयस्क-पक्वं संयंत्र', 'दू पाँती पिग कास्टिंग
मशीन' बनावे के प्रस्ताव रहे.
सी ई डी बी, दुर्गापुर कार्यालय
के 'धमन भट्ठी सेक्सन' ऊपर के इकाइयन "डिज़ाइन, संयंत्र आ माल
के खरीदी, निर्माण के निरीक्षन, टेस्टिंग, संचालन आ चालन" के उत्तरदायित्व रहे.
*
** In 1Mtpa DSP, 3x1000 m3 Blast Furnace were built. In 1.6 Mtpa
Expansion with 1 more 1440 m3 Blast Furnace was proposed to be built. In
addition an ‘Iron Ore Sinter Plant’, a ‘Raw Material Blending & Storage
Yard’, A ‘2-Strand Pig Casting machine’ was proposed to be built.
CEDB, ‘Blast Furnace Section’ of Durgapur Site Office, was
responsible for the “Design, Procurement of Plant & Equipment, Supervision
of Erection, Trials, Testing and Commissioning of above units”. **
"1440
m3 उष्णवायु भष्ट्र-रेखायाः अभियंत्रनम् भारते सर्वप्रथमं सी ई डी बी सम्पादितम्:-
वी
गंगाराव:, सहायक अभियंता तथा
देवदत्त
शर्मा, स्नातक अभियंता
महानुभागाभ्यां
सम्पादितम्.
एतत्
'हिन्दुस्तान इस्पात मर्यादितस्य' प्रथमं उष्णवायु भष्ट्रम्, यत्
सी
ई डी बी, अधुना मेकन अभियन्त्रित:, निर्माण-परीक्षण- संचालनम्
निरीक्षितः सलाहकार-रूपे.
एतत् 'हिन्दुस्तान इस्पात मर्यादितस्य' 13म उष्णवायु भष्ट्रम्.
"1440 m3 धमन भट्ठी के रेखा के अभियंत्रन भारत
में सब से पहिले
सी ई डी बी के
वी गंगाराव, सहायक अभियंता आ
देवदत्त शर्मा, स्नातक अभियंता (ई लेखक)
कइलन :-
श्री सी एन मुखर्जी, अभियंत्रण
अभियंता तथा "उष्णवायु भष्ट्र" अनुभागाधिकारी के सुपरविज़न में
ई धमन भट्ठी 'हिन्दुस्तान इस्पात मर्यादित' सी ई डी बी,
अब मेकन के 13-वां धमन भट्ठी रहे.*
**
“The Design of the Lines of Blast Furnace No.4 of 1440 m3 Capacity of DSP” was
done 1st time in India for any Blast Furnace by CEDB by:
V. Gangarao, Asst. Design Engineer and
Deo Dutta Sharma, Graduate Engineer (the Author of these lines)
under the supervision of Shri C. N. Mookherjee, Design Engineer,
Incharge Blast Furnace Section.
This was the 1st Blast Furnace of HSL, now SAIL:
Steel Authority of India Ltd, Designed and Built under the Consultancy and
Supervision of CEDB, HSL now MECON Ltd. This was the 13th Blast
Furnace of HSL in India.**
अपरं च, टिस्को-संयन्त्रे 5 उष्णवायु
भष्ट्रIनि तथा बर्नपुर संयन्त्रे
3 उष्णवायु भष्ट्रIनि आसन, सर्वे 21 उष्णवायु भष्ट्रIनि आसन्,
यत्र
मात्र एक उष्णवायु भष्ट्रस्य रेखा-भारते अभियन्त्रितम्.
* अउरु TISCO में 5 धमन भट्ठी
आ बर्नपुर में 3 धमन भट्ठी रहन स, तब सब लेके 21 धमन भट्ठी रहे
भारत में, जे में से खाली एगो "धमन भट्ठी के रेखा" के भारत में डिज़ाइन
कइल गइल रहे. *
**
In addition, there were 5 BFs in TISCO, and 3 BFs in Burnpur, IISCO which were,
by and large, designed and built by British and their associate Indian
companies like “Bridge & Roof Ltd”. **
के पठन्ति:- “आत्मकथा देवदत्त शर्मा
Aatmakathaa Deva Datta Sharmaa”:-
भारत:, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका,
इंडोनेसिया, पाकिस्तान:, रूस:, केनिया, बांग्लादेश:, आंग्लदेशः (इंग्लॅण्ड,),
नदरदेशः (नदरलैंड),
सऊदी अरबिया आदि
के पढ़ेला: “देवदत्त शर्मा के आत्मकथा Deva
Datta Sharma ke Aatmakathaa”:
भारत, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका,
इंडोनेसिया, पाकिस्तान, रूस, केनिया, बांग्लादेश, इंग्लॅण्ड, नदरलैंड, सऊदी अरबिया आदि
Who
reads: “Autobiography of Deo Dutta Sharma”:
India,
USA, Indonesiya, Pakistan, Russia, Keniya, Bangladesh, UK, Netherlands, Saudi
Arabia etc.
इति 9 म् भागम् भाग – 9 ख़तम
The
End of Part – 9
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