2** सप्तम् भागम् Saptam Bhaagam, भाग Bhaag-7, Part-7
32. “History of
Brahmanism” 104 Racayitaa:, "ब्राह्मणत्व-इतिहास:"
104 रचयिता > अध्ययनं
Adhyayanam. किताब: “ब्राह्मणत्व के इतिहास“,
104 लेखक > के पढ़ाई.
Kitaab “History of Brahmanism” 104 Lekhak > ke
paD*aai.
Study of the book “History of Brahmanism”, 104 Contributors.
Page
7.39 – Page 7.49
32.1. "ब्रह्मणत्व-इतिहास:",
आधुनिक-कालस्य अद्वितीय पुस्तक: यस्य 104 रचयिता आसन्, तथा सृ 9056 वर्ष
पूर्वं श्री शिवदत्त शर्मा पठितवान्, तथा सः एतत् –पुस्तकम् पठनाय कथितः, अतएव एतत् लेखकः सृ 9056 - 9059 वर्षे पठितः.
* "ब्रह्मणत्व के
इतिहास", आधुनिक काल के एगो अलगे किताब जे 104 लोग लिखले बा, जेकरा
के श्री शिवदत्त शर्मा के कहला प, एह किताब के लेखक पढलन, जे किताब अब मिळत नइखे. *
** A
Unique Book on History ever published in the Modern Era World: “History of Brahmanism”, 104
Contributors. Read by
Shri Sheo Dutta Sharma and the writer of these pages, now
extinct. ** Page 7.39 – Page 7.41
यदा सनातनार्य देवदत्त शर्मा मुजफ्फरपुर नगरात् बी
सी ई, पटना आगच्छत्, तस्य ज्येष्ठ भ्राता कथितवन्तः, "यदा पटना नगरे गच्छसि, “History of Brahmanism” नाम्नि पुस्तकं अवश्यमेव पठ, यत् 'खुदाबक्स पुस्तकालये' अस्ति.
* जब
सनातनार्य
दैवदत्त
शर्मा
मुजफ्फरपुर
से बी
सी
ई,
पटना
आवत
रहन,
त
उनकर
बढ़ भाई सनातनार्य
शिवदत्त
शर्मा
कहलन,
"पटना जातार त ‘History of Brahmanism’ जरूर पढ़िह, जे
'खुदाबक्स लाइब्रेरी' में बा,
साइंस कालेज के नियरे.
"
साफ़ बात बा कि ऊ ई किताब जरूर पढले होखिहन.
** When Sanatanarya Deo Dutta Sharma was
leaving Muzaffarpur for Patna to study in BCE: “Bihar College of Engineering”
in Patna, Pataliputra; his elder brother Sanatanarya Sheo Dutta Sharma said,
“When in Patna, you must read the book “History of Brahmanism” available in ‘Khuda Bax Library’
near Science College”.
Obviously he must have studied the book in
the said library. **
यदा अहम् महाविद्यालये स्थिरमभवं, एकदिवसे अहम् खुदावस पुस्तकालयेगतः. अहम् आह्लादितं, मात्र 8-9 मिनटे पुस्तकस्य प्रथम भाग पुस्तक` प्राप्त्वा.
पुस्तकसूचि अति सुंदरम् आसीत्, येन यत्किंचिद इच्छितं, शीघ्रमेव प्राप्तम्.
पुस्तके 23 भागानि आसन्, 104
ऐतिहासज्ञेन रहिता .
*
जब
हम
बी
सी
ई
में
जम
गइनी,
त
एक
दिन
'ख़ुदाबक्स
लाइब्रेरी'गइनी “History of Brahmanism”. ” के खोजे ख़ातिर.
बड़ा खुशी भइल “History of Brahmanism”. के 1म वोलुम देख के मिनट में.
किताब के 23
वोल्लुम रहे, जे संसार के 104 इतिहासज्ञ लोगन के देन रहे.
ई किताब अतना नीमन से सूचीबद्ध रहे, कि कवनो विषय के तुरते खोजल जा सकत रहे.
** When
I settled in BCE, now NITP, one day I went to ‘Khuda Bax Library’ to search the
book “History of Brahmanism”.
I became very happy to get Volume I of “History of Brahmanism” within 10-12 minutes.
There were 23 Volumes of the book with 104
Contributors from different countries of the world.
The book was nicely categorized, thus
one could easily locate what s/he desired. **
'खुदा बक्श पुस्तकालयः', इंजिनियर्स हॉस्टल स. - 1 छात्रावासात्
निकटे आसीत्, अतः अहम् समययानुसारेण यदा कदा तत पुस्तकालये अगच्छम्.
*
'खुदा
बक्श
लाइब्रेरी'
इंजिनिनियर्स
हॉस्टल
स
- 1 के नियरे बा, एह से
जबहूँ समय मिळत रहे, हम एह लाइब्रेरी में चल जात रहीं “History of
Brahmanism” के पढ़े खातिर.
**
Khuda Bax Library was hardly
1km from Engineers Hostel No.1, so whenever could
find time, I used to read the book “History of Brahmanism”, 104 Contributors. **
32.2. एतत्पुस्तकस्य शीर्षक “History of
Brahmanism”, 104 रचयिता:- आश्चर्यजनकम्
अचरज त बा किताब
के नावे “History of Brahmanism”, 104 Contributors, प
The surprising Aspect of the book: The Title of the book “History of
Brahmanism”, 104 Contributors. *
Page
7.42 – Page 7.43
अहम् आश्चर्यचकितम् एतत् पुस्तकस्य शीर्षकं “History of
Brahmanism” ज्ञात्वा, विश्वस्य 104 रचयिता: केन 'ब्रह्मनिज्म'
नामं चयनिताः.
* हमरा त एह किताब
के नावे “History of Brahmanism”, प भइल, जेकर लेखक / Contributors
संसार के 104 इतिहासकार लोग रहन, जे 5 महादेशन में पसरल रहन
*
** I was
extremely surprised to note the title itself of the book as “History of
Brahmanism”, 104 Contributors coming from different parts of the World, spread
over 5 Continents.
Out of 104 Contributors from the names of the
‘contributors’ it appeared that hardly 4 contributors might be of India or of
Indian origin; how could they decided the title of the book as “History of
Brahmanism”!! **
अहम् यत्पठितं इदम् पुस्तकं, अस्य शीर्षकं 'मानवता इतिहासम' करणीयं,
परन्तु शताधिक-ऐतिहासज्ञानाम् विचारे अहम् प्रश्नकर्तुं न इच्छामि अत्र.
अधिकज्ञातुं पाठका: “Autobiography of
Amritacharya Pandit Ambika Datta Sharma” www.scribbd.com एतत् पुस्तकं पठनीयं
तदापि अत्र अहम् 'ब्राह्मणत्व' विषये किंचिदकथितुमिच्छामि.
* एह किताब के जतना हम
पढ़नी, एह किताब के शीर्षक हमरा समझ से ‘History of Humanism’, होखे के चाहत
रहे, बाकिर हम संसार के 5 महादेशन के इतिहासज्ञन के विचार प प्रश्न करे के नइखीं
चाहत.
ब्रह्मनिज्म प जादा
जाने खातिर देखीं किताब: "“Autobiography of Amritacharya Pandit Ambika
Datta Sharma” at www.scribbd.com , प. *
** So far as I could read the book, the title
of the book could be ‘History of Humanism’, since it dealt mainly
about human beings on the Earth.
But the contributors decided to contribute
the Title of the book as “History of Brahmanism”.
For more on the subject, while one may go to
the book “Autobiography of Amritacharya Pandit Ambika Datta Sharma” at www.scribbd.com ,
I would like state briefly mention about ‘Brahmnism’ here under.
32.3. ब्राह्मणत्वं किं? एतद^वृहत् प्रश्नम्. ब्राह्मणत्व का ह? ई बड़ प्रश्न बा. “What is Brahmanism”? This is a
great question.
Page 7.44 – Page 7.47
ब्राह्मणत्वे
5 महादेशात् शताधिकां
ऐतिहासग^या: 23 भागे पुस्तकं लिखितवन्तः.
अहमपि किंचिदलिखितमिच्छामि अत्र.
* ब्राह्मणत्वे प त 5 महादेशन के सौ से जादा इतिहासकार लोग
23 वॉल्यूम वाला किताब लिख देलन, त अकेला
'डा पंडित देवदत्त शर्मा'
कवना खेत के मूली.
तबहिओ हम कुछ कहेके चाहतानी इहवाँ, *
** On the subject of ‘Brahmanism’ over hundred
Historians made their contributions om the subject “History of Brahmanism” as
the book having 23 Volumes.
After hundreds thousands of years, Dr Pt
Deodutta Sharma also likes add a bit. **
हिमालये तथा हिमालयवृत्ते अथवा उत्तरध्रुवीयवृत्ते मानवाः जातः शतयुगे, यदा जनाः आनन्देन निवसन्, ऋषि मनु पुत्र पुत्रि समम् सामान्यरूपे सत्यपथे चलित्वा, यथा लेखकः “सोवियत संघे सृ 9077 वर्षात् सृ 9090 वर्षे” दृष्टः.
* हिमालय
के
चारो
ओर
भारत,
तिब्बत आ
चीन
में,
आ
/ चाहे ध्रुवीय-वृत्त
में ऋषि
मनु के पुत्र पुत्रि के रूप में सामान्य रूप में सत्यपथ प चलत रहन, यथा लेखक “सोवियत संघ में सृ 9077 वर्ष
सृ 9090 वर्ष” *
** After
emergence of Human beings in and around ‘Himalayas’ and or ‘Arctic Circle’, as
daughters and sons of Rishi Manu known as ‘Maanava’ > Manav in English >
man; in ‘Satyug’ or ‘Truth Era’, most people lived together happily, amicably
and nicely following the path of simplicity and truthfulness; as the writer of
these lines had seen, nay observed in USSR from 1977 to 1990CE.
for more go to the book entitles “Kalig me`
Satyug”**
पश्चात्, सर्वे स्वार्थ, घमंड, वर्चस्व वसे, अन्यस्य कार्य व्यवधानकर्तुं प्रारभत. अतः निस्वार्थी विद्वत्जनाः अन्य जनानां कार्यकुषलतानुसारेण ४ वर्गेसु, वर्णेषु विभाजितवन्तः .
* बाद में, कुछ लोगन में स्वार्थ,
इगो, घमंड, वर्चस्व, दुश्मनी आ बङप्पन आदि के इच्छा उठे लागल, जे से दूसरा प जोर जबरदस्ती, मार-पीट के भावना के चलते कुछ लोग दूसर लोगन प राजो करे लगले,
जे से जनमलन राजा-रानी.
नीमन आ विद्वान् लोग,
एही से लोगन के काम बांट के,
काम के अनुसार उनका के 4 वर्ग़ चाहे वर्ण जातियन बाट देलन
*
** Later, some people started developing ego
and supremacy etc in themselves, leading to groupim, enmity, frequent fights
etc.
The learned and pious people, to avoid such
things, decided to solve the problem by dividing the people based on the
‘Professions’ into 4 groups or casts:
1.
ब्राह्मण: > विचारकः, शिक्षकः, उपदेशकः, अनुसन्धानकर्ता, शिक्षाविद्.
ब्राह्मण > विचारक, शिक्षक, उपदेशक, अनुसन्धानकर्ता, शिक्षाविद्.
Braahman or
Brahman > Thinkers, Educationists, Preachers, Researchers, Teachers, etc.
2.
क्षत्रिय: > युद्धकर्ता:, शासकः,
क्षत्रिय > युद्धकर्ता, शासक,
Kshatriya or Xatriya
> fighters, warriors, Rulers of a
country, territory.
3. वैश्य: > उत्पादकः, व्यापारी, विक्रेता, औद्योगिकः
वैश्य > उत्पादक, व्यापारी, विक्रेता, औद्योगिक
Vaishya >
Producers, traders, sellers, business persons,
4. शूद्र: > सेवाकर्ता, सेवकः, कार्यकर्ता, श्रमिकः, ये उपर्युक्त जनाधीने कार्यं करोति.
शूद्र: > सेवाकर्ता, सेवकः कार्यकर्ता, श्रमिकः ये उपर्युक्त जनाधीने कार्यं करोति
Shudra >
Servers, workers, labors working for / under the above 3 casts.
>> अद्य च अनेका:, अनेकदेशे, समाजे, चतुर्वर्ग-कार्यकर्तांन् सन्ति.
* आजो अधिकांश समाज में अइसनके चार तरह के कार्यकर्ता बाड़न *
Even today in most societies and countries,
we find the above 4 classes of people ‘professionally’. **
32.4. "व्राह्मणत्व-इतिहासानुसारेण": भारतवर्षे दशविधाः ब्राह्मणाः "व्राह्मणत्व के इतिहास" के अनुसार भारत में दस तरह के ब्राह्मण बाड़न
According to “History of Brahmanism”: Ten
Types of Brahmans in India Page 7.48 – Page 7.52
* करीब 125000 बरिस पहिले भूमध्यसागर के साइप्रस द्वीप के नियरे एगो बड़ा उन्नत लोग रहत रहन,
बाकिर
ऊ
टापू
पानी
में
डूबे
लागल,
त
सब
लोग
जेने
तेने
भागे
लगलन;
जे
उत्तर
के *
सृष्टयाब्द 1 972 824 120 वर्षे, केचन अत्युन्नत जनाः भूमध्यसागरे एक द्वीपे निवसन्ति स्म, साइप्रस द्वीप निकटे; यत् संभवतः हिमयुगे जलाप्लावितमभवम्. सर्वे जाना:, लालनाः, बालवाला: द्विपात् पलायितवन्तः. ये उत्तर दिशायाम् गतवन्तः, ते रोमनसंस्कृति स्थापितवन्तः.
ये
दक्षिण दिशायाम् गतवन्तः, ते मिश्रीसंस्कृति स्थापितवन्तः, तथा
ये
पूर्व दिशायाम् गतवन्तः, ते अरबी-संस्कृति स्थापितवन्तः, तथा
ये
अधिक पूर्वं गत्वा अरबसागरपारे भारते गुजरात-प्रदेशे आगत्वा निवसन्, तान्
‘चितपावन ब्राह्मणं’ कथ्यते,
ये
कोण्कण क्षेत्रे निवसन्, ताम् ‘कोंकणी ब्राह्मणं’ कथ्यते, ये केरल क्षेत्रे निवसन्, ताम् ‘मलयाली ब्राह्मणं’ कथ्यते, ये कर्नाटक क्षेत्रे निवसन्, ताम्
‘कर्नाटकी ब्राह्मणं’ कथ्यते, ये भारतपूर्वतटे तमिल क्षेत्रे निवसन्, ताम् ‘तमिल ब्राह्मणं’ कथ्यते.
एतां ‘पंचद्रविडब्राह्मणं’ कथ्यन्ते,
* सृष्टयाब्द 1
972 824 120 बरिस में
भूमध्यसागर
के साइप्रस
द्वीप
के
नियरे
बड़ा
उन्नत
लोग
रहत
रहन,
बाकिर ऊ टापू,
पानी में डूबे लागल, त सब लोग जेने तेने भागे लगलन;
जे उत्तर
के ओर
गइले
आ
रोम
में
बसलन,
ऊ
‘रोमनसंस्कृति’
चलवलन,
जे दक्षिण
के
ओर
गइलन, ऊ
‘मिश्री
संस्कृति’
चलवन,
आ
जे
पुरुब
ओर
गइलन, ऊ
‘अरबियन
संस्कृति’ चलवन.
जे औरु पुरुब आ के अरबसागर से पुरुब भारत अइलन, ओह में जे गुजरात में बसलन, ऊ चितपावन ब्राह्मण कहइलन, जे कोंकण में बसलन, ऊ कहलइन कोंकणी ब्राह्मण, जे केरल में बसलन, ऊ कहइलन मलयाली ब्राह्मण, जे अउरु पूरुब कर्नाटक में बसले, ऊ बनलन कर्नाटकी ब्राह्मण, आ जे भारत के पूरबी तट प तमिल बसलन, ऊ कहइलन, तमिल ब्राह्मण.
इ पांचो "पञ्च द्रविड़ ब्राह्मण” कहइलन. *
** 125000 years ago (from 2000), a highly
developed people lived in an Island in the Mediterraian Sea near present Cyprus,
which got submerged into water possibly due to Ice age. These people fled from
the Island.
Those
who fled to the North, started ‘Roman Culture’.
Those
who fled to the South, started ‘Egyptian Culture’, and thos who came towards the East started
‘Arabian Culture’.
Those
who came to India crossing Arabia, and settled in Gujarat Province, were called: ‘Chitpawan
Brahman’.
Those
who came and settled in Konkan, are called ‘Konkani Brahman’, and those who
settled in Kerala are called ‘Malayalee Brahman’.
Crossing
into further East, those who settled in Karnatak, are called ‘Karnataki
Brahman’; and those who came to the East Coast of India and settled in Tamil
Nadu, became ‘Tamil Brahman’.
These 5 kinds
of Brahmans: Chitpawan, Konkani, Malayaali, Karnaataki and Tamil are together
called “Panch Dravid Brahmans”. **
"ब्रह्मणत्व-इतिहास" “History
of Brahmanism” पुस्तकानुसारेण पञ्चप्रकाराः "गौड़ ब्राह्मणाः" सन्ति; ये यूरोपात् उत्त्तरी एशियात् भारते आगच्छन्ति स्म व्यापार तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमे, तेषा अनेकाः अत्रैव निवसन्.
* अउरु एह किताब “History
of Brahmanism” "ब्रह्मणत्व के इतिहास" के अनुसार: 'गौड़ ब्राह्मण'
के 5 प्रकार बा, जे भारत में आवत जात रहन यूरोप आ उत्तरी एशिया आदि से अफगानिस्तान के राह से व्यापार सांस्कृतिक काम से, जे में से ढेर लोग एहिजे बस जात रहन *
** Further according to the book “History of
Brahmanism”: there are 5 types of “Gaud Brahmans”, who used to come to India
time and again, from various parts of Europe and North Asia for trade and
cultural exchanges; many of whom settled in India. **
ये श्वेत-आगन्तुकाः 'सरस्वती तटे' निवसन्, तान् 'सारस्वतब्राह्मणं' कथ्यन्ते. ये अधिकपूर्वंगत्वा कानपुर क्षेत्रे निवसन्, तान् 'कान्यकुब्ज ब्राह्मणाः' कथ्यन्ते. ये मालवा क्षेत्रे गत्वा निवसन्, तान् 'मालवीय ब्राह्मणाः' कथ्यन्ते.
पश्चात्, केचन शक, हुण, कुषाण आक्रामक-रूपे भारते आगतवन्तः, परन्तु ते अत्रैव निवसन्, तान् 'शाकद्वीपी ब्राह्मणाः' कथ्यन्ते. अनेका: श्वेतजानानां 'गौड़ ब्राह्मणाः' कथ्यन्ते.
* जे गौड़ आगंतुक 'सरस्वति' नदी (अब अंतर्धान) के किनारे बसलन , उनका के
'सारस्वत ब्राह्मण' कहल जाला.
जे लोग अउरु पुरुब आ के कानपुर के चारो ओर बसलन, ऊ भइलन
'कान्यकुब्ज ब्राह्मण'. गौड़ लोगन में से ढेड़ लोग मालवा क्षेत्र में बसले, ऊ कहइले 'मालवीय ब्राह्मण'.
बाद में कुछ शक, हुन, कुषाण भारत प आक्रमण कइले, आ एहीजे बस गइले; ई लोग के 'शाकद्वीपी ब्राह्मण' कहल जाला.
ढेड़ गौड़ लोग,
गौड़े रह गइलन, जिनका के 'गौड़ ब्राह्मण'
कहल जाला *
** Those
who settled on the banks of River Saraswati (now extinct), are called ‘Saraswat
Brahman’.
Those who came to the East and settled around
Kanpur, are called ‘Kanyakubja Brahman’. Many of the Gauds i.e. Whites who
moved towards Malava Region, are called ‘Malaveeya Brahmans’.
Later some Shaka, Hun and Kushan attacked
India, but got assimilated with the Indians as ‘Shakadweepi Brahmans’, many
Whites remained as such but settled mostly in NW India are called ‘Gaud
Brahmans’. **
अतएव, “History
of Brahmanism”, "ब्राह्मणत्वइतिहास" नाम्नि
पुस्तकानुसारेण "पञ्चगौड़ ब्राह्मणाः" आसन्:-
सारस्वत ब्राह्मण: , कान्यकुब्ज ब्राह्मण: , मालवीय ब्राह्मण: , गौड़ ब्राह्मण:, शाकद्वीपी ब्राह्मण:.
* एह तरह से, “History
of Brahmanism”, "ब्राह्मणत्व के इतिहास" नामक किताब (जे अब दुर्लभ हो गइल बा) के अनुसार
5 प्रकार के गौड़ ब्राह्मण होलन:-
सारस्वत ब्राह्मण, कान्यकुब्ज ब्राह्मण, मालवीय ब्राह्मण,
गौड़ ब्राह्मण, शाकद्वीपी ब्राह्मण.
ई लोग कहईलन
"पंचगौड़ ब्राह्मण".
** Thus, according to the book “History of
Brahmanism”, these 5 types of Brahmans are: ‘Saraswat’, ‘Kanyakubja’,
‘Malaveeya’, ‘Shakadveepi’ and ‘Gaud’ Brahmans; who together are called “Panch
Gaud Brahmans”. **
32.5. शताधिकम् विश्वविख्यातऐतिहासज्ञाः एतत्पुस्तकं "ब्राह्मणत्व-इतिहासम्" इति कथित:. १०४ संसार प्रसिद्ध इतिहाकार लोग एह किताब के नाव देलन
"ब्राह्मणत्व के इतिहास" 104 World Historians Entitled the Book as:
“History of Brahmanism”.
Page 7.53 – Page 7.57
अत्र महत्त्वपूर्णप्रश्नं यत्, कथं विश्वस्य शताधिक ऐतिहासज्ञा: एतद्पूस्तकस्य शीर्षकं "ब्राह्मणत्व-इतिहासम्" अयच्छन्?
उत्तरं न सरलं अद्य.
यदा एतद्पुस्तकम् प्रकाषितं, तदा किं 'ब्राह्मणत्वं' एतत् आकर्षंकम् तथा प्रसिद्धं यत् ते एतद्पुस्तकस्य शीर्षकं "ब्राह्मणत्वइतिहासम्" अयच्छन्?
* एगो प्रश्न उठता कि तब के 100 से जादा संसार के ऐतिहासज्ञ लोग एह किताब के नाव "ब्राह्मणत्व के इतिहास" काहे रखलन?
एकर उत्तर देल सरल नइखेआज.
जब ई किताब प्रकाश में आइल,
त का ओह घरी ब्राह्मनिज्म अतना भगजोगार आ प्रसिद्ध रहे कि 100
से जादा संसार के ऐतिहासज्ञ लोग एकर नाव "ब्राह्मणत्व के इतिहास" रख देलन *
** Why did 100s of the World Historians
entitled the book as: “History of Brahmanism”?
This is difficult to answer now.
When the book got published, was ‘Brahmanism’
so inflluential, impressive and popular, that over 100 World Historians named
the book as “History of Brahmanism”?
This is difficult to answer now. **
तदापि, मन्युस्मृत्यानुसारेण ‘मानवाः’, 'मनु ऋषि' वंशजः तथा अनुयायी.
अन्यI: -दानवाः 'दनु ऋषि' वंशजः तथा अनुयायी,
janahaani`, jeevahaani` kritwaa aanandaanubhootim koorvanti..
अतः मन्युस्मृत्यानुसारेण ‘मानवesu’:
1
शुद्रवालः- शुद्रवाला-सह विवाहं
करणीयं.
2
वैश्यवालः- वैश्यवाला
अथवा शुद्रवाला-सह विवाहं
करणीयं.
3
क्षत्रीयवालः- क्षत्रीयवाला, वैश्यवाला
अथवा शुद्रवाला-सह विवाहं
करणीयं.
4 ब्राह्मणवालः ब्राह्मणकन्या, क्षत्रीयवाला, वैश्यवाला अथवा शुद्रवाला सह विवाहं करणीयं.
'पितृप्रधानIनुसारेण' विवाहोपरांत कन्या वरगृहे गच्छति, तथा तत्रैव निवसति पतिसह. अतः सा स्वभावतया तस्य प्रथा, रीति अनुसरति अनायासेन, तथा सा पतिगृहसंस्कृति प्राप्नुवति.
* बाकिर, मन्युस्मृति, जे
18 स्मृतियन में से एगो बा, ओकरा अनुसार सब मानव आ मैन लोग, 'मनु ऋषि' के पुत्रि - पुत्र चाहे अनुयायी हवन, ओकरा अनुसार:
१. एगो शुद्र लइका कवनो शुद्र लईकी से शादी क सकेला.
२. एगो वैश्य लइका कवनो वैश्य चाहे शुद्र लईकी से शादी क सकेला.
३. एगो क्षत्रीय लइका कवनो क्षत्री, वैश्य चाहे शुद्र लईकी से शादी क सकेला.
४ एगो ब्राह्मण लइका कवनो लईकी से शादी क सकेला.
'पितृप्रधान प्रथा' के अनुसार, शादी के बाद कनिया के दुलहा के घरे ससुरार में` जा के रहे के होला, ऊहां के रीति रिवाज़ सीख के ओही संस्कार में ढल जाए के होला, जे सामान्य बात बा *
** However, according to the book
‘Manusmriti’, the original ‘Smriti’ out of 18, which specifies the ‘Code of
Conduct’ for all ‘Manavas’, men, the followers of Rishi Manu or Mankind:
1. A
Shudra boy can marry any Shudra girl.
2. A
Vaishya boy can marry any Shudra or Vaishya girl.
3. A Kshatri or Xatreeya boy can
marry a Shudra, Vaishya or Xatreeya girl.
4
A Brahman boy can marry any girl of any
cast.
According to
‘Patriarchal System’ when a girl gets married, she has to go to the boy’s house
and adopts his house practices, customs, system, manners and culture.**
ब्राह्मणत्वेन आकर्षितं तथा तस्य समाजे प्रभावं दृष्ट्वा, संभवतया विश्वप्रसिद्धऐतिहासज्ञा: एतद्पुस्तकशीर्षकं “History
of Brahmanism” अयच्छं.
ते ज्ञातं यत् ब्रामणाः ज्ञायन्ते 'ब्रह्म' किम्, इति.
* ब्राह्मणत्व से आकर्षित हो के आ एकर प्रभाव देख के, लागता कि इतिहासज्ञ लोग एह किताबे के नाव ध देलन "ब्राह्मणत्व के इतिहास", ख़ास क के ई सोच के कि,
"एक अइसन दिन आई, जब संसार के सब लोग 'ब्रIह्मणे' बन जाई, जे उन्नत आ ज्ञानि होलन, आ जेकरा 'ब्रह्म' का होला एकर सही जानकारी होला; जे 'सब से बड़ ज्ञान ह. जादा देखी` किताब “Knowledge Beyond nano pico Technology”
www.scribd.com प. *
** Thus, being
impressed by Brahmanism, possibly the Contributors and the Editor of the book
“History of Brahmanism” could think: “A day may come when all people will
become ‘Brahmans’, they who are developed and knowledgeable of “Brahma” (not ‘Brahma’
i.e. ‘Brahmaa’, one of the Trinity.), ‘The Ultimate Knowledge’; for
more go to the knowledge book:
“Knowledge Beyond
nano pico Technology” by the Author at www.scribd.com . and
“House of Vedas and
Ayurveda” **
33. स्नातक विज्ञान
(अभियंत्रण-यांत्रिकी),
पटना विश्वविद्यालयIत् उत्तीर्ण: पटना विश्वविद्यालय से स्नातक विज्ञान (अभियंत्रण यांत्रिकी)
पास, BCE,
Passed B. Sc (Engg) (Mech), BCE, Patna University. India. Page
7.58 – 7.59
आश्विन मासे 9062 वर्षे 'बिहार अभियंत्रण महाविद्यालयस्य'
परीक्षाफलमागतः, यत्र अहम् द्वितीय वर्गे विज्ञानस्नातक (अभियंत्रण
- यांत्रिकी) उत्तीर्णः 64.66% संख्या सह.
आचार्य
जैन: (अभियंत्रण - यांत्रिकी) मानव-यन्त्र-बिविन्न अंगेंन, यांत्रिकी
पाठितवान्.
* जुलाई 1962 में बी
सी ई अंतिम वर्ष परीक्षाफल निकलल; हम 2 क्लास में बी एस सी (अभियंत्रण
-यांत्रिकी) पास कइनी 64.66% मार्क्स लेके; बाकिर आचार्य जैन (अभियंत्रण - यांत्रिकी)
हमरा के मानव-मशीन के अंगन के जरिये यांत्रिकी के असल पाठ पदवलन.
*
** In Jyly 1962 the result of the Final Engineering of BCE, was
out. I was placed in 2nd Class with 64.66% marks. However, I had
learnt a lot from Proff. Mechanical Engineering who taught intricacies of
Mechanical with functioning of ‘Human Machine’ or organs of Human Oorganism. **
आचार्य (यांत्रिकी - अभियंत्रण संरचना) पाठितवान: परिसगतस्वच्छता
न महत्वपूर्णं, सुन्दर संरचना महत्त्वपूर्ण.
यांत्रिकी पाठाः 'मानव-यन्त्र' संचालनेन तथा ‘मानव-अंग’ संचालनेन
पाठितवान्.
आचार्य (यांत्रिकी -अभियंत्रण संरचना) पढ़वलन परिसगतस्वच्छता
न महत्वपूर्णं , सुन्दर संरचना महत्त्वपूर्ण. .
खबड़ा ग्रामें अहम्
प्रथमं
व्यक्ति,
य: पटना विश्वविद्यालयात सृ 9062 वर्षे विञान
स्नातक (अभियंत्रण - यांत्रिकी ) उत्तीर्णता प्राप्तः
* खबड़ा
`में
हम
पास
वाला
पहिला
व्यक्ति,
जे B. Sc (Mech Engg.) पटना विश्वविद्यालय से पास कइनी
सनातनार्य आचार्य पण्डित अम्बिकादत्त शर्मा के परिवार
में` B.
Sc (Mech Engg.) पटना विश्वविद्यालय से पास करे वाला पहिला
व्यक्ति
बनली, *
** I became First Person of village Khabra,
who passed B. Sc (Mech Engg.) from Patna University.
I became the` First Person in the Family of
Sanatanarya Acharya Pandit Ambika Datta Sharma. **
34. हस्तरेखा-प्रयोगं-परखम् HastarekhaaPrayogamParakham
सामुद्रिक शास्त्र के प्रयोग आ जांच Saamudrik Shaashtra ke
Prayog aa Jaa`c
Experiments with Palmistry and Verifications.
Page
7.60 – 7.62
"हस्तरेखा विज्ञान" अति महत्वपूर्णं
उद^यमं मम जीवने.
* "हस्तरेखा विज्ञान" हमरा जिनगी के बहुत
महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट रहे *
“Experiments with Palmistry” was one of
the importan projects in my life. **
यदा अहम् "बिहार अभियंत्रण महाविद्यालये"
अपठम्, मम
यांत्रिकी आचार्यः जैन महाभाग: सम्पूर्ण यांत्रिकी-अभियंत्रण
"मानव शरीर संचालनेन" पाठितवान्.
* जब हम BCE,
Patna University में पढ़त रही, त हमार
यांत्रिकी अभियंत्रण
क आचार्य जैन पूरा यांत्रिकी अभियंत्रण
"मानव शरीर
" के संचालने से पढ़ा देत रहन. *
** During my studies of Mechanical
Engineering, my Prof. Jain (Mechanical Engineering), BCE, Patna University
taught me almost all the aspects of Mechanichal Engineering shiting the example
of various Human body parts. **
सांख्यिकी विज्ञानानुसारेंन, आश्चर्यम यत 70%
- 80% BCE छात्रा: "विदेश भ्रमणं" सम्भवः, 'हस्तरेखानुसारेण",
* 'सांख्यिकी विज्ञान' के अनुसार, ई जान के आश्चर्य
भइल कि 70% - 80% BCE छात्रन के "विदेश भ्रमणं" सम्भव 'हस्तरेखा'
के अनुसार, *
** Statistically, it was surprising to note
that almost 70% to 80% of students of “Bihar College of Engineering”, had
‘foreign visits’ as shown on their ‘Palms’. **
परन्तु 20% - 30% एल एस कॉलेज छात्रानाम्,
तथा 10% - 15% बी बी कॉलेजिएट स्कूल छात्रानाम् हस्तेसु "विदेश
भ्रमण" योगमासन्.
* दूसर और, करीब 20% - 30% एल
एस कॉलेज के स्ट्यूडेन्ट, आ मुश्कि 10% से 15%
बी बी कॉलेजिएट स्कूल के हाँथ में "विदेश भ्रमण" के योग रहे
*
** On the other hand, about 20% to 30%
students of LS College Muzaffarpur, and hardly 10% to 15% students of BB
College School, Muzaffarpur had ‘foreign visits’ lines on their Palms.
** The trend shown above is remarkable for
School
> about 10% to 15% students
College > about 20% to 30% students
Engineering College > about 70% - 80%
students.
'हस्तरेखाविज्ञान' एवं 'सांख्यिकी संग्रह'
चलति
* 'हस्तरेखाविज्ञान' आ 'सांख्यिकी डाटा संग्रह'
चालु बा *
** The study of “Palmistry” and 'Statistical
data collection' is continued. **
End of 7th Parts of the Autobiography of Dr
Deo Dutta Sharma
35. प्रवेशं
CEDB हिंदुस्तान इस्पात मर्यादितम्, राँची, राउरकेला, भारत
CEDB राहिंदुस्तान इस्पात मर्यादित राँची, उरकेला में प्रवेश.
Joined CEDB, HSL, Ranchi / Rourkela, India. Page 8. – 8.
36. स्थानान्तरं CEDB हिंदुस्तान इस्पात मर्यादितम्, दुर्गापुरम्
'ग्रेजुएट इंजीनियर' पदे 'उष्णवायु भ्रष्ट्र विभागे', HSL अधुना
मेकन इंडिया मर्यादित.
भारत इस्पात मर्यादित में ‘धमन भटठी विभाग’ में` 'ग्रेजुएट इंजीनियर'
के पद प, दुर्गापुर Bhaarat Ispaat
Maryaadit me` 'Dhaman BhatThi Vibhaag' me` 'GraejueT Injiniar' pa Padaaseen,
Durgaapr.
CEDB हिंदुस्तान इस्पात मर्यादित HSL में दुर्गापुर बदली
Transfered to CEDB, Durgapur, HSL at the Post of
'Graduate Engineer' in the Department of
'Blast Furnace' Iron Making, HSL, now MECON Ltd, India.
Page 8. – 8.
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